Patna High Court: 75% से कम अटेंडेंस वाले छात्र परीक्षा में नहीं बैठ सकते, हाई कोर्ट का स्पष्ट आदेश
पटना उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि 75% से कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने दो छात्रों की याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनकी उपस्थिति 50% से कम थी। अदालत ने यह भी कहा कि फीस भुगतान या नामांकन से परीक्षा में बैठने का कोई अधिकार नहीं मिलता और नियमों में कोई छूट नहीं दी जा सकती।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अदालत ने बेगूसराय स्थित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर इंजीनियरिंग कॉलेज के बी.टेक (कंप्यूटर साइंस) सत्र 2021-25 के छात्र शुभम कुमार और दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के बी.टेक (सिविल) सत्र 2022-26 के छात्र शशिकेश कुमार की याचिकाओं को खारिज कर दिया।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश पी.बी. बजनथ्री और न्यायाधीश आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों छात्रों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से भी कम है। जबकि, विश्वविद्यालय द्वारा बार-बार नोटिस और अवसर देने के बावजूद वे न्यूनतम उपस्थिति पूरी करने में विफल रहे।
अदालत ने छात्रों की उस दलील को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अन्य कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई। कोर्ट ने कहा कि भेदभाव साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी दलील दी गई कि उन्होंने फीस जमा की है और पाठ्यक्रम जारी रखा है।
इस पर अदालत ने कहा कि फीस भुगतान या नामांकन से परीक्षा में बैठने का कोई निहित अधिकार उत्पन्न नहीं होता। उपस्थिति की शर्त वैधानिक और बाध्यकारी है तथा विश्वविद्यालय के किसी भी अधिकारी को इसमें छूट देने का अधिकार नहीं है।
खंडपीठ ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती निर्णयों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि अदालतें विश्वविद्यालय को उपस्थिति की कमी माफ करने के लिए बाध्य नहीं कर सकतीं। सहानुभूति के आधार पर वैधानिक नियमों को शिथिल नहीं किया जा सकता और संविधान का अनुच्छेद 14 नकारात्मक समानता की अनुमति नहीं देता।
उल्लेखनीय है कि छात्र शशिकेश कुमार ने पीलिया के उपचार से संबंधित चिकित्सकीय दस्तावेज प्रस्तुत किए थे, लेकिन अदालत ने माना कि यह न्यूनतम उपस्थिति की अनिवार्यता को दरकिनार करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।