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    28 वर्षों तक बाद धुला बड़ा दाग; पटना HC ने सुनाया फैसला, क‍िशनगंज ज‍िले से जुड़ा है मामला

    By Pratyush Pratap Singh Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Mon, 22 Dec 2025 06:15 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने 28 साल पुराने एक मामले में फैसला सुनाया है, जिसका संबंध किशनगंज जिले से है। इस फैसले के साथ ही एक बड़ा दाग धुल गया है। अदालत का यह नि ...और पढ़ें

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    पटना हाईकोर्ट का आया फैसला।

    विधि संवाददाता, पटना। Patna High Court: डकैती के एक पुराने मामले में  पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत के दोष सिद्धि आदेश को निरस्त करते हुए अभियुक्त गोविंद पासवान को बरी कर दिया है।

    न्यायाधीश आलोक कुमार पांडेय की एकलपीठ ने 27 पृष्ठों के विस्तृत निर्णय में कहा कि अभियोजन की कहानी और पहचान प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं, जिनका लाभ अभियुक्त को दिया जाना आवश्यक है।

    सूचक ने क‍िया था पहचान का दावा 

    कोर्ट ने पाया कि सूचक ने प्राथमिकी में यह कहा था कि डकैतों को देखने पर पहचान लेंगे, लेकिन टीआईपी परेड के दौरान अपने ही घर के पास रहने वाले एक दुकानदार को डकैत बताकर पहचान ली।

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    अदालत ने टिप्पणी की कि यदि सूचक उक्त दुकानदार को पहले से जानता था, तो यह तथ्य प्राथमिकी में स्पष्ट क्यों नहीं किया गया। इस विरोधाभास से सूचक की मंशा संदेह के घेरे में आती है।

    किशनगंज में 1997 की घटना 

    मामला 4 अप्रैल 1997 की रात का है, जब किशनगंज के कोचाधामन थाना क्षेत्र में सूचक के घर 10–12 डकैतों द्वारा कथित डकैती की गई थी। आरोपों के अनुसार घर में घुसकर परिजनों पर हमला किया गया और नकद व आभूषण सहित अन्य सामान लूटा गया।

    पुलिस ने कांड संख्या 46/1997 दर्ज कर आईपीसी की धारा 395 व 397 के तहत अभियोजन चलाया, जिसमें वर्ष 2004 में किशनगंज, ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।

    इसके बाद आरोपित ने हाईकोर्ट का रुख किया। अपील में बचाव पक्ष ने दलील दी कि अभियुक्त एक दुकानदार है और अदरक बिक्री को लेकर पुराने विवाद के कारण उसे झूठे मुकदमे में फंसाया गया।

    उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों पर विचार करते हुए दोषसिद्धि व सजा आदेश रद्द कर अभियुक्त को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया। इस तरह से मामला 28 वर्षों तक चला। अब जाकर आरो‍पित दोषमुक्‍त है।