TMBU: नियमित नियुक्तियों पर पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का दावा निरस्त
पटना हाईकोर्ट ने टीएमबीयू में नियमित नियुक्तियों पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तिलका मांझी विश्वविद्यालय के दावे को निरस्त कर दिया है। यह फैसला वि ...और पढ़ें

तिलका मांझी विश्वविद्यालय। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) में वर्ष 2013 में किए गए कई कर्मचारियों के नियमितीकरण को रद्द करने वाले विश्वविद्यालय के विवादित आदेश पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उसे पूरी तरह निरस्त कर दिया है।
अदालत ने स्पष्ट कहा कि बिना नोटिस, बिना सुनवाई और बिना संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए किसी कर्मचारी की सेवा समाप्त करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है।
न्यायाधीश आलोक कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय ने 12 दिसंबर 2017 के आदेश के जरिए कर्मचारियों के नियमितीकरण को एक झटके में रद कर दिया, जबकि न तो उन कर्मचारियों को कोई कारण बताया गया और न ही जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई।
अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसे आदेश न केवल गैर-कारणयुक्त हैं, बल्कि मनमाने भी प्रतीत होते हैं। पंकज कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं का पक्ष था कि वे वर्षों से सेवा दे रहे थे और उनकी नियुक्तियां विधि-सम्मत प्रक्रिया से हुई थीं।
दूसरी ओर, विश्वविद्यालय ने दावा किया कि नियमितीकरण पूर्व-स्वीकृति के बिना हुआ और अवैध था। मगर अदालत ने कहा कि भले ही नियुक्ति को लेकर विवाद हो, कर्मचारियों को सुने बिना उनकी सेवा समाप्त नहीं की जा सकती।
हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को स्वीकार करते हुए रद्दीकरण आदेश को असंवैधानिक करार दिया और मामले को उचित प्रक्रिया के तहत पुनर्विचार के लिए विश्वविद्यालय को वापस भेज दिया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पुनर्बहाली के बाद कर्मचारियों को पूर्ण बकाया वेतन और सभी प्रतिफल इस आदेश की तिथि से तीन माह के भीतर किया जाए ।

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