490 गाड़ियों की 'एकमुश्त' नीलामी पर HC का करारा प्रहार, शराबबंदी विभाग में घोटाले के संकेत; EOU जांच के आदेश
पटना उच्च न्यायालय ने 490 वाहनों की 'एकमुश्त' नीलामी पर कड़ा प्रहार किया है, जिससे शराबबंदी विभाग में बड़े घोटाले के संकेत मिले हैं। अदालत ने राज्य को ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने शराबबंदी कानून के तहत जब्त वाहनों की नीलामी में गंभीर अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की है।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद और न्यायाधीश सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने सुशील कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि मुजफ्फरपुर में 490 वाहनों की एक साथ की गई नीलामी से प्रतीत होता है कि नियमों का पूरी तरह से गला घोंटा गया।
मामला एक महिंद्रा स्कॉर्पियो एस-9 से जुड़ा है, जिसे 2020 में जब्त किया गया था। अदालत ने पाया कि वाहन मालिक को न तो कन्फिस्केशन से पहले विधिवत शो-कॉज नोटिस दिया गया, न ही व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर मिला। इसके बावजूद सैकड़ों वाहनों के साथ इस वाहन को भी एक कॉमन आदेश में जब्त कर लिया गया और जल्दबाजी में नीलामी कर दी गई।
चौंकाने वाली बात यह रही कि लगभग ₹12.12 लाख बीमित मूल्य वाली दो साल पुरानी स्कॉर्पियो को मात्र ₹3.85 लाख में बेच दिया गया।
हाई कोर्ट ने यह भी गंभीर सवाल उठाया कि मोटर वाहन निरीक्षक द्वारा 22 थानों में खड़ी 527 गाड़ियों का मूल्यांकन महज दो दिनों में कैसे कर दिया गया। न तो भौतिक निरीक्षण हुआ, न तस्वीरें ली गईं और न ही किसी वैज्ञानिक या व्यावहारिक आधार पर कीमत तय की गई। अदालत ने इसे “कागजी मूल्यांकन” बताते हुए सार्वजनिक राजस्व को भारी नुकसान की आशंका जताई।
खंडपीठ ने यह भी रेखांकित किया कि नीलामी नोटिस नियमों के अनुसार अखबारों में प्रकाशित नहीं किए गए, जबकि कुछ चुनिंदा लोग बार-बार नीलामी में कई-कई वाहन खरीदते पाए गए। इससे पूरे सिस्टम में सांठगांठ और अंदरूनी ‘रैकेट’ की बू साफ झलकती है।
अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह पीड़ित वाहन मालिक को छह माह के भीतर ₹12,12,517 की पूरी राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित अदा करे और ₹10,000 मुकदमे का खर्च भी दे। साथ ही, यह स्पष्ट किया गया कि यह राशि भविष्य में दोषी अधिकारियों से वसूली जाएगी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को एफआईआर दर्ज कर विशेष जांच दल गठित करने और पूरे नीलामी तंत्र की गहराई से जांच करने का निर्देश दिया है। अदालत ने संकेत दिए हैं कि इस तरह की अनियमितताओं पर आगे भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

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