Patna News: गुम हो रहीं बेटिंयां, शास्त्री नगर से सबसे ज्यादा मामले; न्यू बाईपास दूसरे नंबर पर
राजधानी पटना में नवविकसित कॉलोनियों में लोगों के लापता होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक जुलाई से कानून प्रभावी होने के बाद 10 दिसंबर तक पूर्वी पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के 19 शहरी थानों में 219 लोगों के गुमशुदा होने के मामले सामने आए हैं। इसमें शास्त्री नगर थाने में सबसे ज्यादा महिलाएं लापता हुई हैं। दूसरे नंबर पर न्यू बाईपास है।

प्रशांत कुमार, पटना। राजधानी में कॉलोनियों का तेजी से विकास हो रहा है। पटना जंक्शन और एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर तक की परिधि में पॉश कॉलोनियों बन गई हैं, जो घनी आबादी वाले इलाकों में तब्दील होती जा रही हैं। शहर के ऐसे 19 थाना क्षेत्र हैं, जहां तेजी से नगरीय विकास हो रहा है। तेजी से विकसित हो रहे इन इलाकों में लापता होने वाले लोगों की संख्या भी ज्यादा है।
जुलाई से अब तक 200 से ज्यादा मामले
एक जुलाई से नया कानून प्रभावी होने के बाद 10 दिसंबर तक पूर्वी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के 19 शहरी थानों में 219 लोगों के गुमशुदा होने का मामला प्रकाश में आया है।
इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सामान्य अपहरण की प्राथमिकी की गई है, लेकिन बरामदगी की दर 20 प्रतिशत भी नहीं है।गुमशुदा लोगों में वयस्कों की संख्या ज्यादा है। दूसरे स्थान पर नाबालिग और तीसरे पर शादीशुदा और कामकाजी युवतियां हैं।
शास्त्री नगर से गुमशुदा हुईं सबसे ज्यादा लड़कियां
पांच महीने में शास्त्री नगर थाने में गुमशुदगी के 38 मामले सामने आए हैं। इनमें बालिग और नाबालिग लड़कियों की संख्या अधिक है। कामकाजी पुरुष भी लापता हुए हैं। इस थाना क्षेत्र में कई स्कूल एवं कॉलेज हैं। सरकारी क्वार्टर और स्लम बस्तियां भी हैं। वे जहां से गायब होती हैं, उसी थाने में उनके अपहरण की प्राथमिकी दर्ज की जाती है।
बाईपास से सटे इलाके दूसरे नंबर पर
न्यू बाईपास से सटे इलाके जक्कनपुर, गर्दनीबाग और रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र में लापता होने वाले ज्यादातर लोगों का सुराग नहीं मिल पाया। नई कॉलोनियों में दूसरे शहरों के किराएदारों की संख्या ज्यादा है।
पुलिस गुमशुदगी का मामला कर अनुसंधान शुरू करती है तो मालूम होता है कि लापता व्यक्ति वहां से कोसों दूर गांव का रहने वाला है। अनुसंधानकर्ता जटिल कागजी प्रक्रिया से पल्ला झाड़ लेते हैं।
1 जुलाई से 10 दिसंबर तक के आंकड़े
अनुमंडल स्तर पर बनी AHTU
गुमशुदा लोगों की बरामदगी के लिए अनुमंडल स्तर पर AHTU (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट) है। इसकी मानिटरिंग एसडीपीओ (अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी) करते हैं। टीम की कमान इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के पास है। गुमशुदगी मामलों की समीक्षा के बाद अनुसंधानकर्ता को कांड में प्रगति के निर्देश देते हैं।
पांच महीने में इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पुलिस ने 23 लापता लोगों को उनके स्वजन से मिलवाया था। इनमें सात मासूम, चार किशोरी व अन्य में बुजुर्ग एवं मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति थे।
गुमशुदगी का मामला सामने आते ही पुलिस ने लापता लोगों की तस्वीर एक्स पर पोस्ट की, जिसे देख कर उनके स्वजन ने स्थानीय थाने से संपर्क किया था।
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