पटना में फ्लू मरीजों की संख्या 35% बढ़ी, मौसम बदलाव, प्रदूषण और वायरस मुख्य कारण
पटना में फ्लू के मरीजों की संख्या में 35% की वृद्धि दर्ज की गई है। डॉक्टरों के अनुसार, मौसम में बदलाव, प्रदूषण और वायरस इसके मुख्य कारण हैं। अस्पतालों और क्लीनिकों में फ्लू के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लोगों को सावधानी बरतने और स्वच्छता का ध्यान रखने की सलाह दी गई है।

पटना में फ्लू के लक्षण वाले मरीज 35 प्रतिशत तक बढ़े
जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी पटना में पिछले एक सप्ताह से फ्लू जैसे संक्रमण के मामलों में तेजी दर्ज की गई है। शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में खांसी, जुकाम, बुखार, गले के संक्रमण और ब्रोंकाइटिस से पीड़ित मरीजों की संख्या 30–35 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, गर्दनीबाग अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसे मरीजों की भीड़ बढ़ी है। आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि पल्मोनरी, ईएनटी और मेडिसिन ओपीडी में फ्लू जैसे लक्षण वाले मरीज सबसे अधिक आ रहे हैं।
अधिकांश मामलों में सामान्य वायरल संक्रमण पाया जा रहा है, जो 2–4 दिनों में ठीक हो जाता है। खांसी, गले में खराश, नाक बहना, बुखार और सांस फूलने जैसी शिकायतें बढ़ी जरूर हैं, लेकिन हालात चिंताजनक नहीं हैं।
मौसम व प्रदूषण संक्रमण की बड़ी वजह
न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डा. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि दिन–रात के तापमान में 10–12 डिग्री का अंतर और हवा में नमी की कमी संक्रमण को बढ़ा रही है।
साथ ही नवंबर महीने में शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 280–320 के बीच रहा, जो बेहद खराब श्रेणी में है। ठंडी हवा में वायरस अधिक सक्रिय रहते हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है। डा. सिन्हा के अनुसार मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद अधिकतर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं पड़ी।
गंभीरता केवल उन मरीजों में देखी जा रही है जिन्हें पहले से अस्थमा, सीओपीडी, हृदय या किडनी संबंधी समस्याएं हैं। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से सावधानी बरतने, मास्क के उपयोग, गर्म कपड़ों के सही प्रयोग और भीड़भाड़ वाले स्थानों में सतर्क रहने की सलाह दी है।

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