Dengue Case In Patna: दूसरी बार डेंगू होने से खुद को बचाएं; हो सकता है जानलेवा, पटना में आए 20 मामले
पटना में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है जहां 20 नए मामले सामने आए हैं जिससे कुल संख्या 332 तक पहुंच गई है। पटना नगर निगम के कई क्षेत्रों में हॉट स्पॉट चिह्नित किए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दूसरी बार डेंगू होने पर खतरा बढ़ जाता है इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए। मच्छरों से बचाव और पानी जमा न होने देना जरूरी है।

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी में डेंगू का कहर दिखने लगा है। बुधवार को डेंगू के 20 नए मामले सामने आए हैं। इससे जुलाई व अगस्त महीने में दर्ज मामलों की संख्या 213 हो गई है, जबकि इस वर्ष डेंगू के कुल 332 मरीज मिले हैं। पटना नगर निगम क्षेत्र के छह अंचलों में 22 हॉट स्पॉट चिह्नित किए गए है। सबसे अधिक बांकीपुर अंचल में एक सौ से अधिक मामले आए हैं।
पाटलिपुत्र अंचल में 70, वीआइपी इलाका कहे जाने वाले नूतन राजधानी अंचल में 40 ऐसे मामले आए हैं। अजीमाबाद में 30, कंकड़बाग में 25, पटना सिटी अंचल में करीब 20 मामले आए है। ग्रामीण इलाकों के आंकड़ों पर ध्यान दें तो सबसे अधिक फुलवारीशरीफ व दानापुर में सबसे अधिक, इसके बाद पटना सदर, बख्तियारपुर, संपतचक, फतुहा, खुशरूपुर, बाढ़, मसौढ़ी से भी मामले आए हैं।
इसके अतिरिक्त 31 ऐसे मामले आए हैं, जिसके इलाके की पहचान नहीं हो सकी है। सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह के अनुसार सबसे अधिक पीएमसीएच में डेढ़ से अधिक जांच हुई है। इसके अतिरिक्त न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, एनएमसीएच, एम्स, आरएमआरआइ, आइजीआइएमएस, एलएनजेपी, निजी अस्पताल व निजी लैब से सैंपल लिए जा रहे है।
दूसरी बार डेंगू होने से खुद को बचाएं, हो सकता है जानलेवा
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ प्रो. रवि कीर्ति ने बताया कि उन लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है जो पहले भी डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। बताया कि दूसरी बार डेंगू संक्रमण पहले की तुलना में कहीं अधिक घातक और जानलेवा साबित हो सकता है। डेंगू वायरस के चार प्रकार होते हैं।
इसमें डीईएनवी-1 से लेकर डीईएनवी-4 तक। आमतौर पर पहली बार संक्रमण होने पर मरीज को हल्का बुखार और सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन यदि व्यक्ति दोबारा किसी भिन्न प्रकार के डेंगू वायरस से संक्रमित होता है, तो उसकी स्थिति गंभीर हो सकती है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि दूसरी बार संक्रमण होने पर मरीज को डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) या डेंगू शाक सिंड्रोम (डीएसएस) हो सकता है, जो कई बार जानलेवा सिद्ध होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार दूसरी बार डेंगू होने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युन सिस्टम) उल्टा असर करने लगता है। इसे एंटीबाडी डिपेंडेंट इंहांसमेंट (एडीई) कहा जाता है, इसमें पहले संक्रमण से बनी एंटीबाडी नए वायरस टाइप से लड़ने की जगह उसे बढ़ावा देने लगती हैं। इस प्रक्रिया से शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटने लगती है और ब्लीडिंग (अंतः रक्तस्राव) की आशंका भी बहुत अधिक बढ़ जाती है।
सावधानी जरूरी
सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि डेंगू से बचाव सबसे बड़ा उपाय है कि मच्छर से बचें। मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बांह के कपड़े पहनने, मच्छरदानी उपयोग, और पानी जमा न होने देने जैसे उपायों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। कहा कि वह डेंगू के प्रति लापरवाही न बरतें और अपने परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों को मच्छर काटने से बचाएं।
पीएमसीएच में 10 बेड का चल रहा विशेष वार्ड
मरीजों की स्थिति को देखते हुए पीएमसीएच में 10 बेड का विशेष डेंगू वार्ड संचालित हो चुका है। यहां रोस्टर के अनुसार स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अतिरिक्त आवश्यक दवा, मच्छरदानी आदि की व्यवस्था की गई है।
डेंगू के हॉट स्पॉट
- पाटलिपुत्र अंचल में बोरिंग रोड, राजा बाजार, राजापुर पुल, इंद्रपुरी, आशियाना।
- बांकीपुर अंचल में मुसल्लहपुर घाट, सुलतानगंज, बाजार समिति, संदलपुर।
- नूतन राजधानी अंचल में तारामंडल, सिपारा, मीठापुर एवं अनिसाबाद।
- अजीमाबाद में अगमकुआ, एनएमसीएच एरिया एवं बजरंगपुरी।
- कंकड़बाग में कुम्हरार एवं भागवतनगर।
- पटना सिटी में खाजेकलां एवं मालसलामी।
युवा व किशोर सबसे अधिक प्रभावित
आंकड़ों पर ध्यान दें तो सबसे अधिक किशाेर एवं युवा ही डेंगू के चपेट में आएं है। आंकड़ों के अनुसार शून्य से 10 वर्ष में 22, 11 से 20 वर्ष के 81, 21 से 30 में 129, 31 से 40 वर्ष के 39, 41 से 50 वर्ष के 22, 51 से 60 वर्ष के 23 मरीज एवं 61 से अधिक उम्र के 32 मरीज डेंगू पॉजिटिव आएं है।
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