Paper Leak Case: सिपाही भर्ती के लिए परीक्षा से चार दिन पहले लीक हुआ था पेपर, कोलकाता की शेल कंपनी ने लिया था ठेका
Bihar Constable Recruitment Paper Leak Case: बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा से पहले पेपर लीक होने के मामले में पुलिस की जांच में कई खुलासे हो रहे हैं। इसी क्रम में अब पेपर के चार दिन पहले लीक होने की बात सामने आई है। इसके साथ ही पेपर लीक के लिए ठेका दिए जाने का भी खुलासा हुआ है।

बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा से पहले पेपर लीक होने के मामले में जांच आगे बढ़ने के साथ कई खुलासे भी हो रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा के प्रश्न-पत्र लीक के तार कई राज्यों से जुड़े हैं। इस मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एजेंसी चयन से लेकर प्रश्न-पत्र के परिवहन और परीक्षा संचालन में कई गड़बडि़यां पकड़ी थीं।
परीक्षा का आयोजन करने वाली केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के पदाधिकारी भी सवालों के घेरे में थे। जांच के अनुसार, परीक्षा से चार दिन पहले ही प्रश्न-पत्र गायब कर लिए गए थे। प्रश्न-पत्र एवं गोपनीय सामग्रियों को प्रेस से जिला कोषागार तक भेजने में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का अनुपालन नहीं किया गया।
खुली गाड़ियों में बिना सील लॉक और सुरक्षाकर्मी के प्रश्न-पत्रों को ले जाने वाली गाड़ियां जिला कोषागरों में जाने के क्रम में कई जगह रुकते हुए पहुंची। इस दौरान जीपीएस की मानीटरिंग भी नहीं की गई।
मोतिहारी जिला ले जाने वाली गाड़ी पटना के डीपी वर्ल्ड लाजिस्टिक एंड एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के वेयरहाउस में लोड होने के बाद छह घंटे से ज्यादा समय तक पटना में ही रुकी रही, जहां संजीव मुखिया के संगठित पेपर लीक गिरोह के सदस्यों ने प्रश्न-पत्र गायब किए।
इसके लिए जेनिथ लॉजिस्टिक एंड एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के मुंशियों रमेश कुमार और राहुल पासवान को नौकरी एवं पैसे का प्रलोभन देकर बक्सों और लिफाफे खोलकर परीक्षा से चार दिन पहले प्रश्न-पत्र प्राप्त कर लिया गया। प्रश्न-पत्रों की फोटो खींचने के बाद इसे साल्व किया गया और अभ्यर्थियों से पैसे लेकर इनकी उत्तर-कुंजी उपलब्ध कराई गई।
कौशिक कर ने दूसरे राज्यों की परीक्षाओं में की थी धांधली
परीक्षा का आयोजन करने वाली केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) ने प्रश्न-पत्र की प्रिंटिंग, पैकेजिंग एवं जिला कोषागार तक प्रश्न-पत्र एवं अन्य गोपनीय सामग्री पहुंचाने की जिम्मेवारी कोलकाता की कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेंट लिमिटेड को दी थी।
जांच में पता चला कि यह एक छद्म (शेल) कंपनी है, जिसका निदेशक कोलकाता से गिरफ्तार कौशिक कर था। वह इसके पूर्व भी उत्तरप्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में ली गई परीक्षाओं के पेपर लीक का आरोपित रहा है और जेल भी जा चुका है। इस कंपनी का बस एक कमरे का कार्यालय था, जहां कोई कर्मी तक नहीं था।
कंपनी की अपनी कोई प्रिंटिंग प्रेस, वेयर हाउस या लाजिस्टिक व्यवस्था भी नहीं थी। इस कंपनी ने सिपाही भर्ती परीक्षा से जुड़े सारे काम आपराधिक षड्यंत्र के तहत ब्लेसिंग सेक्योर्ड प्रेस प्राइवेट लिमिटेड के जरिए आउटसोर्सिंग कर कराए। इस मामले में छापेमारी कर कोलकाता से कौशिक कर के कई सहयोगियों को भी पकड़ा गया था।
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