Bihar Politics: जमीन देने के मुद्दे पर भिड़े नीतीश कुमार के दो मंत्री, पिछले महीने भी हुई थी खटपट
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी कृषि विभाग की जमीन के हस्तांतरण पर उलझ गए। सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वे जमीन नहीं देंगे जबकि चौधरी ने उनसे कैमूर में मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन देने का आग्रह किया। पहले भी एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में दोनों के बीच तीखी बहस हुई थी।
राज्य ब्यूरो, पटना। कृषि विभाग की जमीन हस्तांतरण के मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी मंगलवार को बुरी तरह उलझ गए। सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंजूरी के बिना वे कृषि विभाग की जमीन किसी और विभाग को नहीं देंगे।
चौधरी ने व्यंग किया- क्या लाइफ लॉन्ग (जिंदगी भर) आप ही कृषि मंत्री रहेंगे? इससे पहले 21 जुलाई को एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में भी इन दोनों के बीच तीखी झड़प हुई थी।
कैबिनेट की बैठक के बाद सभी मंत्री सचिवालय से बाहर निकल रहे थे। सीढ़ी उतरने से पहले चौधरी ने सिन्हा से कहा कि वे कैमूर में प्रस्तावित सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए कृषि फार्म की जमीन क्यों नहीं दे रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान इसके लिए प्रयासरत हैं। अभी शिलान्यास हो जाएगा तो चुनाव में मदद मिलेगी।
सिन्हा का कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही कृषि विभाग की जमीन के हस्तांतरण पर रोक लगा रखी है। उनके आदेश के बिना वे कृषि विभाग की जमीन नहीं दे सकते हैं। जमीन देने की शर्त यह है कि कृषि विभाग को समतुल्य जमीन मिले।
सिन्हा ने कहा कि वे कृषि विभाग की जमीन दे देंगे तो लोग क्या कहेंगे? चौधरी ने इसी पर व्यंग किया-क्या लाइफ लॉन्ग (जिंदगी भर) आप ही कृषि मंत्री रहेंगे? सिन्हा ने बाद में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कोई झड़प नहीं हुई। सामान्य बातचीत हुई।
दूसरी तरफ, डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री से जमीन देने के लिए आग्रह किया था। हमने कहा कि समतुल्य जमीन मिलने की प्रत्याशा में वे जमीन हस्तांतरण की संचिका पर हस्ताक्षर कर दें। बाद में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग समतुल्य जमीन का प्रबंध कर कृषि विभाग को दे देगा। लेकिन, वे इसके लिए राजी नहीं हुए।
पिछले महीने भी हुई थी झड़प
पिछले महीने 21 जुलाई को एनडीए विधायक दल की बैठक में भी सिन्हा और चौधरी उलझ गए थे। उस बैठक में कुछ विधायकों ने ग्रामीण कार्य विभाग के सड़क निर्माण के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने का विरोध किया था। सिन्हा विधायकों के पक्ष में खड़े हो गए थे। उन्होंने चौधरी पर जिलों में होने वाले विभाग के कार्यक्रमों में सहयोगी दलों के विधायकों को न बुलाने का आरोप लगाया था।
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