Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रालोजपा और झामुमो पर भारी मन से RJD हुआ राजी? समीकरण साधने में जुटे तेजस्वी

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 08:03 PM (IST)

    राजद के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि रालोजपा और झामुमो ने भी बिहार में सीटों की मांग की है। झामुमो जिसने पहले झारखंड में राजद से सीटें हासिल कीं अब बिहार में हिस्सेदारी चाहता है। पिछले चुनावों में मनमुटाव के कारण महागठबंधन को नुकसान हुआ था इसलिए राजद सहयोगियों के साथ समीकरण साधने का प्रयास कर रहा है। पशुपति कुमार पारस की पार्टी रालोजपा भी कुछ सीटें चाहती है।

    Hero Image
    सीट शेयरिंग को लेकर तेजस्वी की बढ़ेंगी मुश्किलें। (जागरण)

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। पुराने सहयोगियों की बड़ी मांग से राजद पहले ही कशमकश में था, अब पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भी हिस्सेदार बन गए हैं।

    वस्तुत: यह भारी मन वाली सहमति रही, स्वाभाविक नहीं। जीत-हार से बेपरवाह होकर रालोजपा, अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए, कुछ सीटों पर मैदान में आने का मन बना चुकी थी, जबकि झामुमो हर चुनाव में दांव आजमाता ही रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस बार झारखंड में राजद को मुंहमांगी सीटें देकर वह पहले से ही तैयार बैठा था। रांची में उसके प्रत्याशी भी तय होने लगे थे। अंतत: राजद के लिए समझौता बेहतर लगा, अन्यथा उन सीटों पर वोटों के तितर-बितर होने की आंशका थी, जिन पर झामुमो की नजर है।

    बिहार में दावेदारी के संदर्भ में पिछले दिनों झामुमो द्वारा सार्वजनिक रूप से बयान दिए गए। अलबत्ता उन बयानों में इतनी एहतियात जरूर बरती गई कि संदेश महागठबंधन के विरुद्ध न जाए।

    पिछला चुनाव हुआ था प्रभावित

    झारखंड में साझेदारी के लिहाज से यह जरूरी भी था। उन बयानों ने राजद को सजग किया, क्योंकि विधानसभा के पिछले चुनाव मेंं खटपट से दोनों की संभावना प्रभावित हुई थी। तब कटुता इस स्तर तक बढ़ी कि झामुमो ने राजनीतिक मक्कारी का आरोप लगाते हुए राजद से राजनीतिक रिश्ते की समीक्षा तक की चेतावनी दी थी।

    उसका कहना था कि झारखंड सरकार में राजद के एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता को श्रम मंत्री बनाया गया, लेकिन राजद राजनीतिक शिष्टाचार भूल गया है।

    इस क्षोभ के साथ झामुमो ने सात सीटों (झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती, नाथनगर) पर प्रत्याशी उतार दिए। कोई सफलता तो नहीं मिली, लेकिन चकाई और कटोरिया में उसने राजद का खेल बिगाड़ दिया।

    महागठबंधन पिछली बार मात्र 15 सीट और 11150 मतों के अंतर से सत्ता से चूक गया था। इस बार वह पुरानी कोई गलती दोहराना नहीं चाहता। इसके लिए सहयोगियों के साथ समीकरण का भी गुणा-गणित लगाया जा रहा।

    अब तक के हिसाब-किताब में झारखंड के सीमावर्ती तीन-चार सीटों पर झामुमो का थोड़ा-बहुत प्रभाव दिख रहा। उन्हीं में से तीन-चार सीटें देकर झारखंड का प्रतिदान पूरा करने पर विचार चल रहा है।

    पारस की पसंद में अलौली के साथ कांग्रेस की सिटिंग सीट राजापाकर है। इसके अलावा वे तरारी की आस लगाए हैं, जो भाकपा-माले की परंपरागत सीट है।

    दान और प्रतिदान 

    2019 में राजद को झारखंड में सात सीटें मिली थीं। एकमात्र चतरा में सत्यानंद भोक्ता सफल रहे थे। 2024 में भी सात सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत में वृद्धि के साथ चार पर सफलता मिली। झारखंड में संजय यादव राजद कोटे से मंत्री हैं। अब झामुमो प्रतिदान लेगा।

    आज के बिहार में उसे एक बार चकाई में सफलता तो मिली, जिसे वह दोहरा नहीं पाया। 2010 में वह सफलता सुमित कुमार सिंह के सहारे मिली थी, जो 2020 में वहां निर्दलीय विजयी रहे।

    हालांकि, उनकी जीत मेंं झामुमो को मिले 16985 मतों की बड़ी भूमिका रही है। राजद की सावित्री देवी वहां मात्र 581 मतों से मात खाई थीं।

    झामुमो की पसंद: चकाई, झाझा, कटोरिया, ठाकुरगंज, कोचाधामन, रानीगंज, बनमनखी, धमदाहा, रूपौली, प्राणपुर, छातापुर, सोनवर्षा, रामनगर, जमालपुर, तारापुर, मनिहारी

    पारस की पसंद : अलौली, राजापाकर, तरारी

    यह भी पढ़ें- 

    बिहार में महागठबंधन और NDA में सीट बंटवारे पर फंसेगा पेंच! प्रशांत किशोर और तेज प्रताप पर होगी सबकी नजरें

    comedy show banner
    comedy show banner