Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar News: बिहार में एनपीए 7.57 प्रतिशत, लोन देने से कतरा रहे बैंक

    Updated: Fri, 27 Jun 2025 09:50 PM (IST)

    बिहार में बैंकों का साख-जमा अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है जिसका मुख्य कारण उच्च एनपीए है। बैंक सामान्य ग्राहकों को ऋण देने में हिचकिचाते हैं क्योंकि एनपीए 7.57% है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कृषि क्षेत्र में भी एनपीए की समस्या है खासकर बड़े किसानों द्वारा ऋण वापसी न करने से। ग्रामीण बैंकों के सुधरने से एनपीए को नियंत्रित किया जा सकता है।

    Hero Image
    बिहार में एनपीए 7.57 प्रतिशत, ऋण देने से कतरा रहे बैंक

    राज्य ब्यूरो, पटना। लाख प्रयास के बावजूद बिहार में साख-जमा अनुपात आज भी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। सामान्य ग्राहकों को बैंक ऋण देने से प्राय: आनाकानी करते हैं, क्योंकि उनकी गैर निष्पादन परिसंपत्तियां (एनपीए) अधिक हैं।

    बिहार में बैंकों का एनपीए 7.57 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत (2.8 प्रतिशत) से लगभग पांच प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण बैंक द्वारा ऋण की वसूली नियमित रूप से होने लगे तो बिहार में एनपीए संतोषजनक सीमा तक आ सकता है। विभिन्न बैंकों द्वारा यहां कुल 319293 करोड़ का ऋण वितरण हुआ है। उसमें से 24170 करोड़ एनपीए है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राज्य सरकार की सहायता और बैंकों की सक्रियता से एनपीए में लगातार कमी आ रही, फिर भी बैंकिंग के दृष्टिकोण से यह संतुलित नहीं। बैंकों के सामान्य व्यावसायिक संचालन के लिए एनपीए मेंं अभी और कमी चाहिए।

    इसका बेहतर तरीका ऋण की वसूली है। ऋण वसूली के लिए समय के साथ मानव-बल पर व्यय करना होता है। ऐसे में एनपीए से बचने के लिए बैंक ऋण वितरण से ही आनाकानी कर रहे। राज्य के विकास की निरंतरता के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं।

    कृषि क्षेत्र की कमी और खामियाजा:

    कृषि प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत है और इसमें ऋण वितरण के लिए राज्य सरकार लगातार दबाव बना रही, लेकिन अघोषित रूप से बैंक गो स्लो की नीति पर ही अडिग हैं। इसका कारण इस क्षेत्र में एनपीए की मात्रा अधिक है। बिहार में इस वर्ष 31 मार्च तक कृषि क्षेत्र में लगभग 94461 करोड़ के ऋण दिए गए।

    उनमें से 15483 करोड़ एनपीए हो गए। एनपीए कुल ऋण का 16.39 प्रतिशत है। इसकी एक बड़ी सच्चाई भी है। कृषि क्षेत्र में एनपीए लघु व सीमांत किसानों के कारण नहीं, बल्कि बड़े किसानों द्वारा ऋण वापसी नहीं किए जाने के कारण हैं। खामियाजा छोटे किसान भुगत रहे।

    ग्रामीण बैंक सुधरे तो एनपीए होगा सीमा भीतर:

    जून, 2022 में बिहार में बैंकों का एनपीए 11.50 प्रतिशत था। जून, 2023 में यह 9.05 प्रतिशत रहा। मार्च, 2025 तक यह घटकर 7.57 प्रतिशत रह गया है। ग्रामीण बैंक का एनपीए सर्वाधिक 21.342 प्रतिशत है, जबकि सरकारी बैंकों का 6.98 प्रतिशत।