पटना हाई कोर्ट ने सभी जिलों के SP-SSP और DM के लिए जारी किए सख्त निर्देश, अब होगा एक्शन
पटना हाई कोर्ट ने ध्वनि और वायु प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने डीजे सिस्टम के लिए डेसिबल सीमा तय की है और अस्पतालों-स्कूलों को नो हॉर्न जोन घोषित करने का आदेश दिया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सभी जिलों से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने ध्वनि और वायु प्रदूषण को लेकर राज्य के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। न्यायाधीश राजीव रॉय की एकलपीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य के सभी जिलों के डीएम, एसएसपी और पुलिस अधीक्षकों को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के सख्त अनुपालन का आदेश दिया है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक जिले में डीजे साउंड सिस्टम केवल तय डेसिबल सीमा के भीतर ही संचालित किए जाएं। यदि कोई आपरेटर तय सीमा से अधिक आवाज़ में डीजे बजाता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाए और भुगतान नहीं करने पर उपकरण जब्त कर लिए जाएं।
कोर्ट ने राज्यभर के सभी अस्पतालों, विद्यालयों एवं कॉलेजों को ‘नो हॉर्न जोन’ घोषित करने और वहां स्पष्ट सूचना पट्ट लगवाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निष्क्रियता पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि बोर्ड केवल कागजी सलाह देकर अपने वातानुकूलित कार्यालयों में बैठा है, जबकि राजधानी पटना के मुरादपुर जैसे इलाके देश के सबसे अधिक ध्वनि और वायु प्रदूषित क्षेत्रों में गिने जा सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट, पीएमसीएच, गांधी मैदान, पटना मार्केट सहित अन्य भीड़भाड़ वाले क्षेत्र पूरी तरह अराजकता की स्थिति में हैं और दिशा-निर्देशों का कोई पालन नहीं हो रहा है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई एक गंभीर घटना का उल्लेख किया जिसमें एक उड़ान (पुणे-पटना) के उतरने के दौरान डीजे ट्रॉली की लेजर बीम ने पायलटों की दृष्टि को क्षणिक रूप से बाधित कर दिया।
कोर्ट ने सभी जिलों के डीएम, एसएसपी और एसपी से अपेक्षा की है कि वे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट दो सप्ताह में भेजें। इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
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