Bihar Contract Jobs 2025: संविदा पर भरे जाएंगे 191 पद, बिहार सरकार के गृह विभाग ने दी मंजूरी
राज्य के विधि-विज्ञान प्रयोगशाला में जांच को बेहतर करने के लिए कर्मचारियों की संख्या दुगुनी की जाएगी। इसके लिए 191 पद भरे जाएंगे जिसकी अनुमति गृह विभाग ने दे दी है। एडीजी पारसनाथ ने बताया कि राजगीर में एफएसएल शुरू हो चुका है और पूर्णिया में भी जल्द शुरू होगा। एफएसएल जांच में तेजी लाने के लिए मोबाइल वैन की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के विधि-विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) जांच में तेजी लाने के लिए मानवबल को दोगुना किया जाएगा। इसके लिए नियमित नियुक्ति होने तक संविदा पर सहायक निदेशक और वरीय वैज्ञानिक सहायकों के 191 पद भरे जाएंगे। गृह विभाग से इसकी स्वीकृति भी मिल गई है। पुलिस मुख्यालय में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता में सीआईडी के एडीजी पारसनाथ ने यह जानकारी दी।
एडीजी ने बताया कि पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के अलावा मई में राजगीर में क्षेत्रीय एफएसएल शुरू हो गई है। पूर्णिया में जल्द एफएसएल जांच की व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है। सभी एफएसएल में कर्मियों की बहाली के लिए गृह विभाग के पास नए सिरे से तैयार रोस्टर और नियमावली भेज दी गई है।
अनुमति मिलते ही अगले दस से 15 दिनों में बहाली की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एफएसएल जांच में तेजी लाने के लिए मोबाइल वैन की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। वर्तमान में 17 मोबाइल एफएसएल वैन हैं। अब 34 नए वैन की खरीद होने जा रही है। इसकी प्रक्रिया भी जारी है।
सीआईडी ने दिया 3137 पदाधिकारियों को प्रशिक्षण:
एडीजी पारसनाथ ने बताया कि पुलिसकर्मियों को तकनीकी एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। सीआइडी की ओर से 2022 से अब तक 3137 पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसी माह जुलाई में 346 और इसके पहले जून माह में 330 पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है।
आईजी, डीआईजी, एसपी, डीएसपी, एफएसएल और फोटो ब्यूरो के विशेषज्ञ पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देते हैं। इसमें मुख्य तौर पर एफएसएल जांच, फिंगरप्रिंट, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, डिजिटल फॉरेंसिक, मोबाइल-सीसीटीवी एनालिसिस आदि के साथ में नए कानूनों और कोर्ट के नए आदेशों के बारे में जानकारी दी जाती है।
सीआईडी के डीआईजी जयंतकांत ने बताया कि पुलिस पदाधिकारियों को सीबीआई, एनआईए, आइ4सी जैसे संस्थानों के पदाधिकारियों को बुलाकर भी प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। नए प्रविधान के तहत अनुसंधान से जुड़े सभी मामले ई-साक्ष्य एप पर अपलोड करना अनिवार्य है। डिजिटल साक्ष्य जुटाने के लिए यह किया जाता है। इस पर अपलोड करने पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ करना संभव नहीं होता है।
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