Bihar Politics: फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र बनाने वाले काे भाजपा ने खोजा, राजद का आदमी निकला
पटना में डॉग बाबू के आवासीय प्रमाणपत्र को लेकर विवाद गहरा गया है। भाजपा ने इस मामले में विपक्ष पर आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाला राजद विधायक का रिश्तेदार है। चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसा कोई दस्तावेज जमा नहीं हुआ है। जिला प्रशासन ने जांच में आईटी सहायक और राजस्व अधिकारी को दोषी पाया है।

राज्य ब्यूरो, पटना। सघन मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान 'डॉग बाबू' का आवासीय प्रमाणपत्र बनाने को लेकर विपक्ष जहां सरकार की आलोचना कर रहा है, भाजपा ने कह दिया कि यह विपक्ष की करतूत है। पहचा चर्चित मामला पटना जिले के मसौढ़ी का है।
भाजपा के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि फर्जी आवास प्रमाणपत्र बनाने वाला अंचल कार्यालय का ऑपरेटर मिंटू कुमार निराला एक राजद विधायक के प्रतिनिधि का रिश्तेदार है। उसका रिश्ता भाकपा माले के एक विधायक से भी है।
प्रवक्ता के अनुसार, मिंटू कुमार निराला के पिता मिथिलेश कुमार यादव हैं। वे जहानाबाद जिला के श्रीपुर के स्थायी निवासी हैं। वैसे, जिला प्रशासन की जांच में ही मिंटू को ही दोषी पाया गया है। उसे निलंबित कर दिया गया है। मसौढ़ी के राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान भी निलंबन की अनुशंसा की गई है।
नीरज ने आरोप लगाया कि कंप्यूटर ऑपरेटर ने दूसरे के आधार कार्ड के माध्यम से स्वयं 'डॉग बाबू' के नाम से आवेदन किया। उस दिन वह समय से एक घंटा पहले कार्यालय पहुंच गया था।
मिंटू की प्रतिनियुक्ति अनुमंडल कार्यालय में थी, लेकिन फर्जी प्रमाणपत्र बनाने के लिए वह अंचल कार्यालय में काम करता था। उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच चल रही है। जल्द ही राजद के बड़े नेताओं का नाम सामने आएगा।
चुनाव आयोग ने दी सफाई
इस प्रकरण पर चुनाव आयोग की सफाई भी आ गई है। आयोग ने कहा कि बिहार के किसी मतदाता ने ऐसा दस्तावेज चुनाव आयोग में जमा नहीं किया है।
क्या कर रहा है प्रशासन?
पटना जिला प्रशासन ने भी प्रारंभिक जांच में पूरे मामले को फर्जी करार दिया है। पटना जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम के आदेश पर पूरे मामले की जांच हो रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि दिल्ली की एक महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर 15 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन किया गया था।
आवेदन में दिए गए कागजातों का बिना सत्यापन किए ही आवास प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में आईटी सहायक और राजस्व अधिकारी, दोनों को दोषी पाया गया है। इन पर गलत डिजिटल हस्ताक्षर करने और नियमों की अनदेखी करने का भी आरोप है। इसके अलावा जिस व्यक्ति की पहचान पत्र का दुरुपयोग किया गया है, वह भी जांच के दायरे में है।
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