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    तिब्बत की नामुकुओ झील से बिहार लौटा बार हेडेड गूज ‘गगन’, 5220 मीटर ऊंचाई छूकर पूरा किया असाधारण हिमालयी प्रवास

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 10:33 PM (IST)

    तिब्बत की नामुकुओ झील से एक बार हेडेड गूज, जिसे ‘गगन’ नाम दिया गया है, बिहार लौट आया है। इस पक्षी ने 5220 मीटर की ऊंचाई पर असाधारण हिमालयी प्रवास पूरा ...और पढ़ें

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    तिब्बत से यात्रा कर आया प्रवासी पक्षी। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना। सर्दियों के दिनों में बिहार खासकर जमुई के नागी नकटी अभयारण्य और भागलपुर के विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य में आने वाले प्रवासी पक्षियों की ऐतिहासिक यात्रा का रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।

    वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफ एंड सीसी), बिहार और बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) की संयुक्त पहल पर बर्ड रिंगिंग एंड मानिटरिंग स्टेशन ने प्रवासी पक्षियों का रिकार्ड जारी किया है। इससे पक्षी अनुसंधान और संरक्षण के वैश्विक मानचित्र पर प्रदेश मजबूती से स्थापित हो गया है।

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    रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में पहली बार 22 फरवरी को नागी डैम पक्षी अभयारण्य में जीपीएस-जीएसएस ट्रांसमीटर से टैग किए गए बार हेडेड गूज गगन नामक पक्षी ने असाधारण हिमालय प्रवास को पूरा किया, जो जमुई के बाद भागलपुर आया। यहां से नेपाल से होते हुए तिब्बत के नामुकुओ झील तक पहुंचा।

    पक्षी ने लगभग 780 किमी की हवाई दूरी तय की और 5,220 मीटर की अधिकतम ऊंचाई प्राप्त की। छह दिसंबर को नागी डैम में पक्षी फिर से देखा गया। इसने 1,560 किमी की दूरी तय करने अपना वार्षिक प्रवास चक्र पूरा किया।

    पूर्वी भारत में इस प्रजाति की पहली अंतरराष्ट्रीय लंबी प्रवास का रिकार्ड है, जो प्रदेश की आर्द्र भूमि के महत्व को मजबूत करता है। विज्ञानी डॉ. पी सत्यसेल्वम, वर्तिका पटेल, शोधकर्ता अविलाश आर एवं वन विभाग का सहयोग से ये बातें समाने आई हैं।

    प्रवासी पक्षी की सुरक्षा में प्रदेश मजबूत

    वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने कहा कि पक्षियों का प्रवासन रिकार्ड राज्य सरकार की विज्ञान संचालित संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रदेश की आर्द्र भूमि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र है।

    ऐसे परिणाम बताते हैं कि हमें अपनी आर्द्र भूमियों की सुरक्षा व निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है। विभाग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइवे संरक्षण में उपयोगी शोध को निरंतर समर्थन देता रहेगा।