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    Patna Airport: पटना एयरपोर्ट से विदेश यात्रा के लिए अभी करना होगा और इंतजार, सामने आई ये बड़ी वजह

    Updated: Fri, 30 May 2025 10:29 AM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का लोकार्पण किया लेकिन यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं के लिए 5 जून तक इंतजार करना होगा। वहीं दूसरी ओर नए टर्मिनल भवन का निर्माण किया गया है लेकिन पटना एयरपोर्ट के रनवे का विस्तार नहीं हो सका। ऐसे में अभी अंतरराष्ट्रीय विमान की सुविधा मिलना मुश्किल है।

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    लोकार्पण के बाद यात्रियों को विदेश यात्रा के लिए करना होगा इंतजार

    जागरण संवाददाता, पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार की शाम पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का लोकार्पण कर दिया है, लेकिन यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का उपभोग करने के लिए पांच जून तक इंतजार करना होगा। इसके पीछे पुराने टर्मिनल भवन से विमानन कंपनियों के काउंटर और एएआइ का कार्यालय शिफ्ट करना बताया जा रहा है।

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    नए टर्मिनल भवन के निर्माण का काम वर्ष 2018 में शुरू हुआ था, लेकिन कोरोना की वजह से निर्माण कार्य बाधित हुआ और समयावधि बढ़ती चली गई। इस भवन का डिजायन सिंगापुर की मेनहार्ट कंपनी ने किया था। हैदराबाद की नागार्जुन कंस्ट्रक्शन ने निर्माण कार्य पूरा किया।

    आगमन और प्रस्थान को अलग-अलग एंट्री-एक्जिट

    दो मंजिली इमारत में आगमन (अराइवल) और प्रस्थान (डिपार्चर) के लिए अलग-अलग रास्ते होंगे। निचले तल पर अराइवल यानी दूसरे शहरों से आने वाले यात्रियों के लिए व्यवस्था की गई है। यहां चार एक्जिट गेट होंगे, जबकि पहली मंजिल से डिपार्चर की व्यवस्था है। इस पर पांच एंट्री होगी।

    इसके बाद पांच सिक्योरिटी गेट होंगे। नए भवन में 64 चेक-इन काउंटर होंगे, जिससे यात्रियों को लंबी कतारों में लगना नहीं पड़ेगा। सभी द्वार पर तीन प्रकार के सेंसर युक्त सीसी कैमरे लगाए गए हैं।

    अब एयरोब्रिज से विमान में जाएंगे यात्री

    पहले यात्रियों को बस से विमान तक पहुंचाया जाता था। अब एयरोब्रिज से यात्री सीधे विमान में प्रवेश करेंगे। वर्तमान में पांच एयरोब्रिज बनाए गए हैं। भवन का डिजायन ऐसा है कि आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में इनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है।

    हालांकि, पुराने भवन को ध्वस्त करने के बाद ही पांचों एयरोब्रिज का प्रयोग किया जाना संभव हो सकेगा। अभी महज एक एयरोब्रिज ही यात्रियों के आवागमन के लिए तैयार है। दूसरे शहरों से आने वाले यात्री थ्रीडी पेंटिंग के माध्यम से बिहार की संस्कृति और यहां के पर्यटन स्थलों की झलक पा सकेंगे।

    पीटीटी का निर्माण जारी, पार्क होंगे 11 विमान

    पैरेलल टैक्सी ट्रैक (पीटीटी) का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है। इसके बाद यदि एक फ्लाइट रनवे पर खड़ी रही तो दूसरे विमान को हवा में चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। रनवे पर मौजूद विमान को तत्काल पीटीटी पर भेज दूसरे विमान को लैंड कराया जा सकेगा।

    वहीं, वर्तमान में पांच विमानों की यहां पार्किंग हो सकती है। पुराने भवन को ध्वस्त कर वहां पार्किंग-बे बनाया जाएगा, जिससे 11 विमान एक साथ खड़े हो सकेंगे। इधर, चार मंजिला मल्टी लेवल पार्किंग में साढ़े सात सौ वाहन पार्क हो सकेंगे।

    पार्किंग में वाहन खड़े करने के बाद यात्री ट्रैवलेटर से टर्मिनल की पहली मंजिल पर स्थित डिपार्चर तक जाएंगे। वहीं, आने वाले यात्री टर्मिनल से निकल कर पैदल मल्टी लेवल पार्किंग तक जा सकते हैं।

    पार्किंग की विभिन्न मंजिलों पर जाने के लिए रैंप और लिफ्ट दोनों की व्यवस्था है। पिकअप एंड ड्राप के लिए अलग से रैंप की व्यवस्था है, जो एराइवल और डिपार्चर दोनों के लिए उपलब्ध रहेगा।

    शयनकक्ष और रेक्लाइनर कुर्सियों की सुविधा

    नए टर्मिनल में शयनकक्ष (डारमेट्री) और रेक्लाइनर कुर्सियों की भी सुविधा होगी। विमान देर होने अथवा रद रहने की स्थिति में यात्रियों को डारमेट्री की सुविधा मिलेगी। वहीं, समय से पहले पहुंचने वाले यात्री रेक्लाइनर कुर्सियों पर आराम कर सकते हैं।

    वर्तमान में यह सुविधा पटना एयरपोर्ट पर नहीं थी। फ्लाइट रद होने पर विमानन कंपनियां यात्रियों को होटल में ठहराती थीं। उन्हें वहां तक लेकर जाने के लिए बस की भी व्यवस्था करनी पड़ती थी। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कार्गो कांप्लेक्स भी कार्यरत हो चुका है।

    इमिग्रेशन काउंटर पर इंटरनेशनल फ्लाइटें नहीं

    नए टर्मिनल भवन में इमिग्रेशन काउंटर बनाया गया है। हालांकि, अभी विदेश के लिए पटना एयरपोर्ट से सीधी फ्लाइट नहीं है। माना जा रहा है कि जल्द सिंगापुर, बैंकाक, नेपाल जैसे देशों के लिए फ्लाइटें शुरू हो सकती हैं। लेकिन, इसमें सबसे बड़ी बाधा रनवे है।

    नए टर्मिनल भवन का निर्माण किया गया है, लेकिन पटना एयरपोर्ट के रनवे का विस्तार नहीं हो सका। रनवे की लंबाई 2,072 मीटर है। यहां फ्लाइट को 2.5 डिग्री पर उतारना पड़ता है, जो सुरक्षित नहीं है।

    सुरक्षा मानकों के अनुसार, फ्लाइट को तीन डिग्री क्षितिज पर लैंड कराना सुरक्षित माना जाता है। ऐसे में निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय विमान की सुविधा मिलना मुश्किल बताया जाता है।

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