Clean Air Survey 2025: पटना की रैंकिंग में गिरावट, हवा सुधारने के लिए अधिक प्रयास की जरूरत
पटना के लिए Clean Air Survey 2025 की रिपोर्ट निराशाजनक रही। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पटना 27वें स्थान पर रहा जो पिछले वर्ष 10वें स्थान पर था। विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य शहरों ने बेहतर प्रयास किए होंगे। रिपोर्ट पटना के लिए एक चेतावनी है और वायु गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता दर्शाती है।

जागरण संवाददाता, पटना। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की रिपोर्ट पटना के लिए निराशाजनक और चिंताजनक है। रैंकिंग में गिरावट आयी है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों की श्रेणी में पटना 27वें स्थान पर आ गया है।
पिछले वर्ष यह रैंकिंग में 10वें स्थान पर था। तीन से 10 लाख की दूसरी श्रेणी की रिपोर्ट में गया का रैंक भी गिरा है। यह आठवें से 11 वें स्थान पर चला गया है। हालांकि मुजफ्फरपुर की आबोहवा कुछ बेहतर हुई है।
2024 की रिपोर्ट में यह शहर 32वें स्थान पर था जो अब 30वें पर पहुंच गया है। बात राजधानी की करें तो पिछली रिपोर्ट में अंतिम रूप से 176 अंक प्राप्त हुआ था, जबकि इस वर्ष यह 164.5 अंक पर है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि, केवल यह नहीं कह सकते कि पटना की हवा ज्यादा दूषित हुई है, यह भी तो हो सकता है कि अन्य शहरों ने हवा को स्वच्छ बनाने के लिए ज्यादा प्रयास किया हो।
तीन श्रेणियों में होती है शहरों की रैंकिंग
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मिशन के तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तीन श्रेणी में शीर्ष तीन प्रदर्शन करने वाले शहरों को नकद पुरस्कार, एक ट्राफी और “राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर” शीर्षक से एक प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
इसमें पहली श्रेणी में 10 लाख से ऊपर, दूसरी श्रेणी में तीन से 10 लाख और तीसरी श्रेणी में तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों की रैंकिंग की जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
ऐसे होता है शहरों का मूल्यांकन
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क की धूल, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट, वाहन और औद्योगिक उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, पौधारोपण, स्वच्छ इंधन के उपयोग और जन जागरूकता जैसे मानकों पर शहरी स्थानीय निकाय स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट देते हैं।
इस रिपोर्ट और सहायक दस्तावेजों की जांच वायु गुणवत्ता निगरानी समिति करती है। मंत्रालय के दिशानिर्देशों में दिए गए मूल्यांकन ढांचे के आधार पर जांच कर रैंकिंग जारी की जाती है।
इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में जागरूकता पैदा करना, नागरिकों को प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बताना, विभिन्न शहरों की वायु गुणवत्ता स्थिति की तुलना एवं सभी के लिए स्वच्छ वायु का लक्ष्य प्राप्त करना है।
रैंकिंग में बेहतर करने वाले शहरों में पक्की सड़क, यांत्रिक सफाई को बढ़ावा, पुराने कचरे का जैविक उपचार, निर्माण एवं विध्वंस सामग्री तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, हरित पट्टी विकास, बेहतर यातायात प्रबंधन, पौधारोपण के क्षेत्रों में बेहतर काम किया है।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की रिपोर्ट पटना के लिए एक चेतावनी और सुधार का अवसर है। यह साफ संकेत देती है कि यहां की हवा की गुणवत्ता पर लगातार काम करने की जरूरत है। कई बिंदु हैं जिनपर विचार की जरूरत है, मसलन, क्या सड़क से गाड़ियां कम हुईं, क्या कचरा प्रबंधन हुआ, क्या औद्योगिक गैसें कम हुईं, क्या पराली प्रबंधन हुआ।तथ्य तो यह भी है कि पटना के स्कोर में सुधार नहीं हुआ या बाकी शहरों ने बेहतर किया। जलवायु परिवर्तन में भी हम पीछे हो रहे हैं। - तेजस्वी विवेक, विशेषज्ञ, एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट (आद्री)
रिपोर्ट का अध्ययन कर जो भी सुधारात्मक कदम होंगे वे उठाए जाएंगे ताकि शहर की हवा स्वच्छ हो। हालांकि, पटना में जियोजेनिक कंडीशन भी प्रदूषण का बड़ा कारण है। गंगा नदी का बड़ा किनारा है। जब भी शहर की ओर हवा चलती है, धूल का गुबार आ जाता है। दूसरी बात पिछले वर्ष शहर में सड़क से लेकर कई अन्य तरह के निर्माण कार्य हुए। खनन, परिवहन भी काफी होता है। पिछले वर्ष बेहतर प्रदर्शन के लिए पटना को 32 करोड़ का ग्रांट भी मिला था। -अनिमेष कुमार पराशर, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम
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