Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chirag Paswan: चिराग पासवान के लिए ये बड़ी चुनौती बाकी, चुनाव परिणाम के बाद ही तय होगी राजनीतिक हैसियत

    Bihar Politics बिहार की सियासत में एनडीए के लिए चिराग पासवान काफी मायने रख रहे हैं। लेकिन पशुपति पारस को आउट करना एनडीए के साथ-साथ चिराग पासवान के लिए भी एक चुनौती के रूप में सामने आ सकता है। 2019 के चुनाव में चाचाभतीजा और भाई सभी एक साथ थे। लेकिन इस बार अलह होने के बाद बड़ी चुनौती हो सकती है।

    By Dina Nath Sahani Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Wed, 27 Mar 2024 02:29 PM (IST)
    Hero Image
    चिराग पासवान के लिए राह नहीं आसान (जागरण)

    दीनानाथ साहनी, पटना। Bihar Political News Hindi: बिहार में लोकसभा चुनाव परिणाम से लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की राजनीतिक हैसियत तय होगी। 2020 के विधानसभा चुनाव के समय से ही अकेले चल रहे चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने अपनी चतुराई से भाजपा को साध लिया और एनडीए में उन्हें पांच सीटें मिलीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चिराग की सक्रियता ने चाचा को हाशिये पर कर दिया

    लगातार सक्रिय रहे चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने चाचा पशुपति कुमार पारस को एनडीए में हाशिये पर कर दिया। आज पारस अलग-थलग पड़ चुके हैं। चिराग भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से उपयोगी हो गए हैं। अब चुनाव में परख इस बात की भी होगी कि पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के लोग चिराग को उनके मुकाबले कहां रखते हैं।

    2019 के लोकसभा चुनाव में चाचा पारस, चचेरा भाई प्रिंस राज और चिराग एक साथ थे। फिर सियासी उठापटक के बाद चार सांसदों को साथ लेकर पारस अलग हो गए और केंद्र में मंत्री बन गए, लेकिन लोकसभा चुनाव आते ही भाजपा का पारस से मोहभंग हो गया।

    चाचा पशुपति बन सकते हैं चिराग के लिए कड़ी चुनौती

    हालांकि, अब चिराग के लिए चुनौती राजग में मिली पांच सीटों पर जीत की है। पिछले लोकसभा चुनाव में लोजपा की छह सीटों पर जीत हुई थी। इस बार पारस अलग हैं और यदि चिराग को मिले सभी पांच सीटों पर पारस अपने उम्मीदवारों को उतारते हैं तो चिराग को तगड़ी चुनौती मिल सकती है। चिराग के लिए सुकूनदेह यह कि पार्टी के साथ उनके पिता रामविलास पासवान का नाम जुड़ा है।

     रामविलास की विरासत 

    लोजपा की स्थापना 2003 में हुई। वह पहली बार 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ी। 178 में से 29 उम्मीदवार जीते। 12.62 प्रतिशत वोट मिला। यह लोजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उसी साल नवंबर के विस चुनाव में लोजपा के उम्मीदवारों की संख्या 203 हो गई।

    जीत सिर्फ 10 सीटों पर हुई। वोट प्रतिशत भी 11.10 प्रतिशत पर आ गया। लोजपा 2010 का विधानसभा चुनाव राजद से मिलकर और 2015 का विधानसभा चुनाव भाजपा की साझेदारी में लड़ी। वोट प्रतिशत क्रमश: 6.74 और 4. 83 रहा।

    इस लिहाज से नवंबर 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में चिराग ने खुद को आजमाया। उनके उम्मीदवार 145 सीटों पर लड़े। एक पर जीत हुई। हालांकि इस चुनाव में अपने दम पर 5.66 प्रतिशत वोट हासिल करना चिराग की उपलब्धि थी।

    यह भी पढ़ें

    Chirag Paswan Qualification: कितने पढ़े लिखे हैं चिराग पासवान? जानिए क्वालिफिकेशन से लेकर डिग्री तक सबकुछ

    Prashant Kishor: बिहार में शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधरेगी? प्रशांत किशोर ने बताया 3 प्लान; कहा- हर हाल होगा बदलाव