सावधान! क्रिसमस और न्यू ईयर के आनंद को किरकिरा कर सकते हैं पनीर-चिकन
पटना में क्रिसमस और नए साल के जश्न में पनीर और चिकन से फूड प्वाइजनिंग का खतरा हो सकता है। फ़ूड सेफ्टी विभाग ने मिलावट की आशंका जताई है। त्योहारों के दौ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पटना। होटल-रेस्टोरेंट से लेकर बाजार तक में क्रिसमस व नववर्ष के जश्न की तैयारियां जोरों पर हैं। हर सड़क पर इसकी रौनक दिखने लगी है। 21 दिसंबर से 2 जनवरी तक चलने वाले इस जश्न के माहौल में मोटा मुनाफा कमाने के लिए अधिक मांग वाले केक, पेस्ट्री, कंफेक्शनरी उत्पाद, मिठाइयां, ड्राई फ्रूट्स, तरह-तरह के पेय पदार्थों के साथ घटिया पनीर से लेकर चिकन तक खपाने की तैयारी है।
आमजन के जश्न के उत्साह में ग्रहण लगाने वाले मिलावटखोरों पर शिकंजे की अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह आलम तब है जबकि गत वर्ष क्रिसमस व नववर्ष के मौके पर हुए ताबड़तोड़ निरीक्षण में अधिसंख्य दुकानों में कृत्रिम रंगों से बने केक मिले थे, जिन्हें नष्ट कराया गया है।
यही नहीं, साफ-सफाई में लापरवाही के कारण कई बेकरी के कारखाने भी तत्काल प्रभाव से बंद कराए गए थे। प्रयोगशाला की जांच में चॉकलेट-कन्फेक्शनरी उत्पाद भी अमानक पाए गए थे।
बताते चलें कि अखाद्य कृत्रिम रंग बच्चों में हाइपरएक्टिविटी, स्किन एलर्जी, ध्यान की कमी, पेट दर्द, डायरिया-अपच के साथ लंबे समय तक प्रयोग से लिवर- किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ज्यादा बिकने वाली चीजें, उनमें मिलावट व नुकसान
केक, पेस्ट्री व बेकरी उत्पाद
इन दोनों त्योहारों पर केक-पेस्ट्री की मांग सबसे अधिक रहती है। मिलावटखोर इसका फायदा उठाते हुए एक्सपायरी मैदा, औद्योगिक अखाद्य रंग, सस्ते वनस्पति घी व सिंथेटिक क्रीम से इसे तैयार कर आपूर्ति करते हैं। दुकानदार भी कम दाम व चमकीला रंग आदि देखकर इसे जमकर बेचते हैं। वहीं पैसे देकर इन्हें खरीदने वालों के बच्चे फूड प्वाइजनिंग व पेट संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
चॉकलेट-टॉफी भी सुरक्षित नहीं
बच्चों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय चॉकलेट में एक्सपायरी उत्पादों की री-पैकिंग कर खपाना सबसे ज्यादा चलन है। घटिया कोको पाउडर व नकली ब्रांड की आशंका रहती है। इसका असर एलर्जी, उल्टी-दस्त के रूप में सामने आ सकता है। सबसे बड़ी चुनौती चीन से नेपाल के रास्ते तस्करों द्वारा लाए कन्फेक्शनरी उत्पाद हैं।
ड्राई फ्रूट्स नहीं रहे सेहत के पर्याय:
गिफ्ट पैक में बिकने वाले काजू, किशमिश, पिस्ता-बादाम समेत स्वास्थ्य के पर्याय माने जाने वाले कई सीड्स भी अब नुकसानदेह हो चुके हैं। कई व्यापारी सस्ते के फेर में पुराना माल जिसे केमिकल पालिश से चमकाया जाता है या नमी बढ़ाकर वजन बढ़ाया जाता है बेच रहे हैं। इससे फंगल संक्रमण व लिवर पर दुष्प्रभाव हो सकता है।
पनीर की गुणवत्ता पर हर व्यक्ति आशंकित:
करीब छह माह पूर्व हुई जांच में बड़े होटल व रेस्त्रां तक का पनीर अमानक पाया गया है। 150 से 450 रुपये से अधिक में बिकने वाले पनीर के दाम ही इसकी गुणवत्ता पर लोगों की आशंका के सबसे बड़े कारक हैं। पनीर सिंथेटिक दूध, स्टार्च-डिटर्जेंट आदि से तो नहीं बना, इसके लिए सबसे अधिक जांच होती है।
कोल्ड ड्रिंक्स और जूस:
पार्टियों में मांग बढ़ते ही लोकल स्तर पर नकली बोतलें, अशुद्ध पानी और अधिक केमिकल प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किया जाता है। इससे डायरिया व टाइफाइड जैसे रोगों की आशंका बढ़ जाती है। जगह-जगह खुले जूस कार्नर भी अब नए फ्लेवर आदि के नाम पर इन खतरनाक उत्पादों की चपेट में आ चुके हैं क्योंकि वे भी अपने जूस उन्हीं चीजों को मिलाकर तैयार करते हैं।
आइसक्रीम और फ्रोजन डेजर्ट:
सिंथेटिक दूध, घटिया फैट व एक्सपायरी उत्पाद बच्चों व युवाओं में फूड प्वायजनिंग के बड़े कारक बन चुके हैं।
अवैध शराब बिक्री बड़ी चुनौती:
नववर्ष पर सबसे बड़ा खतरा अवैध शराब से जुड़ा है। इसमें मिथाइल अल्कोहल या केमिकल स्पिरिट की मिलावट अंधेपन से लेकर मौत तक का कारण बन सकती है।
बाजार पर नजर, हो रही जांच:
खाद्य संरक्षा पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि क्रिसमस व नववर्ष से पूर्व ज्यादा बिकने वाली चीजों से लेकर होटल-रेस्त्रां तक निरीक्षण जारी है। पनीर निशाने पर है लेकिन इसमें कम फैट व आरारोट की ही मिलावट अब तक पाई गई है, यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक नहीं है। मुर्गा की भी जांच की जाएगी। केक, कन्फेक्शनरी उत्पाद खास चीन से तस्करी कर लाए गए आदि के लिए सैंपल लेने का अभियान शुरू किया जा रहा है। बेकरी, होटल व रेस्टोरेंट संचालकों को गुणवत्ता बरकरार रखने के निर्देश दिए गए हैं। कृत्रिम रंगों से बने केक नष्ट कराए जाएंगे व साफ-सफाई में लापरवाही मिलने पर सुधार तक उन्हें बंद कराया जाएगा। चॉकलेट, कन्फेक्शनरी उत्पादों की एक्सपायरी डेट की सभी दुकानदार जांच कर लें नहीं तो कार्रवाई की जाएगी।
खरीदारी के पहले इन बातों का रखें ध्यान:
- एफएसएसएआई या आईएसआई लाइसेंस वाली दुकानों या इससे प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें।
- खुले में बिक रही चमकीली मिठाइयों, केक, जेली आदि उत्पादों से परहेज करें।
- पैक्ड फूड की एक्सपायरी डेट जरूर जांचें।
- बहुत सस्ते आफर की बारीकी से उसकी जांच करें।
- जश्न मनाएं लेकिन सेहत के साथ कोई समझौता नहीं करें।
चॉकलेट-लॉलीपॉप के मानकों से भी खिलवाड़, जांच के घेरे में
क्रिसमस व नववर्ष पर कन्फेक्शनरी उत्पादों जैसे चाकलेट, टाफी, कैंडी, जेली, लालीपाप आदि की बिक्री बढ़ जाती है। प्रतिस्पर्धा व अपने उत्पादों को आकर्षक बनाने के फेर में व्यापारी इसमें टारट्राजीन, सनसेट येलो जैसे अखाद्य कृत्रिम रंग की अधिक मात्रा मिलाने के साथ घटिया कोको पाउडर, कृत्रिम फ्लेवर, एक्सपायरी उत्पादों की री-पैकिंग, अधिक सैकरिन-कृत्रिम स्वीटनर, घटिया या ट्रांस फैट युक्त तेल, निर्धारित से अधिक मात्रा में प्रिजर्वेटिव आदि का प्रयोग बढ़ा देते हैं। ऐसे उत्पादों के सेवन से बच्चों में एलर्जी, हाइपरएक्टिविटी, पेट दर्द, उल्टी-दस्त, फूड प्वायजनिंग से लेकर लंबे समय में लिवर-किडनी प्रभावित हो सकते हैं।
मानकों का उल्लंघन पाया गया तो होगी कार्रवाई: अजय कुमार
खाद्य संरक्षा पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि क्रिसमस व आंग्ल नववर्ष पर इस वर्ष कन्फेक्शनरी उत्पादों की भी जांच कराई जाएगी। इस क्रम में यदि दुकानों-माल में रखी एक्सपायरी डेट वाली चाकलेट व टाफियों को जब्त करने के साथ अधिक चमकीले रंग वाले संदिग्ध उत्पादों के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण, खुले में बिकने वाली कन्फेक्शनरी पर विशेष नजर रहेगी।
अजय कुमार ने कहा कि केवल एफएसएसएआई लाइसेंस वाले ब्रांड ही खरीदें, बहुत चमकीले रंग वाली टाफी-जेली से बचें, पैकेट पर निर्माण व एक्सपायरी तिथि जरूर देखें, खुले में बिक रही चाकलेट-जेली बच्चों को नहीं दें। उन्होंने कहा कि यदि जांच में कन्फेक्शनरी उत्पादों में मानकों का उल्लंघन पाया गया तो संबंधित दुकानों व निर्माताओं पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।

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