जयंती पर याद किए गए साहित्यकार पांडेय कपिल
भोजपुरी साहित्य के पुरोधा कवि उपन्यासकार संपादक आलोचक व कहानीकार स्वर्गीय पांडेय कपिल को जयंती पर किया गया याद
पटना। भोजपुरी साहित्य के पुरोधा कवि, उपन्यासकार, संपादक, आलोचक व कहानीकार स्वर्गीय पांडेय कपिल की जयंती अचीवर्स जंक्शन की ओर से वर्चुअल तरीके से मनाई गई। कार्यक्रम में देश-विदेश के तकरीबन तीन दर्जन नामचीन साहित्यकारों ने भाग लेते हुए पांडेय कपिल की साहित्यधर्मिता पर प्रकाश डाला।
कवि आनंद संधिदूत ने कहा कि भोजपुरी साहित्य के इस कालखंड को पाडेय कपिल युग के नाम से जाना जाएगा। समालोचक डॉ. शंभू शरण ने कपिल जी को निराला के समकक्ष बताया। डॉ. उषा वर्मा एवं डॉ. शारदा पांडेय ने पांडेय कपिल को भोजपुरी साहित्य का संरक्षक एवं प्रवर्तक बताया। कार्यक्रम का आरंभ पांडेय कपिल के गीतों व गजलों से हुआ, जिन्हें राकेश श्रीवास्तव और मनीषा श्रीवास्तव ने सस्वर प्रस्तुत किया। साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कपिल जी के रचना संसार की व्यापकता पर चर्चा की तो डॉ. ब्रजभूषण मिश्र ने कपिल जी की रचनाओं को कालजयी बताया। कार्यक्रम में स्व. कपिल जी की पत्नी उपस्थित हुईं और अपने पति की यादों को साझा किया। उनके छोटे भाई पांडेय सुरेंद्र व पी चंद्रविनोद भी उपस्थित थे। उनके भतीजे प्रो. राजीवनयन, पुत्रियां अंबुजा सिन्हा व गरिमा बंधु ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये। सुनील कुमार तंग इनायतपुरी, रंजन प्रकाश, डॉ. रंजन विकास व डॉ. साकेत रंजन प्रवीर ने भी अपने संस्मरण सुनाये। नेहा नूपुर व अनन्या प्रसाद ने पाडेय कपिल पर केंद्रित काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के संयोजक कवि मनोज भावुक ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य नई पीढ़ी को पांडेय कपिल के रचना संसार से अवगत करना एवं साहित्य पठन-पाठन एवं लेखन के प्रति प्रेरित करना है। संचालन डॉ. पूजा दुबे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मनोज भावुक ने किया।
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