ओसामा शहाब क्यों नहीं बने विधानसभा की समिति के सभापति? भाई वीरेंद्र तक ही क्यों सिमट कर रह गया RJD का मामला?
बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जिसमें सवाल उठ रहे हैं कि ओसामा शहाब भी क्या विधानसभा समिति के सभापति हो सकते थे? मामला राजद नेता भाई वीरेंद् ...और पढ़ें

ओसामा शहाब, भाई वीरेंद्र व आलोक मेहता। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics: राजद ने बिहार विधानसभा की अधिक समिति मिलने की उम्मीद में अपने विधायक व पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के नाम की अनुशंसा की थी, लेकिन, विधायकों की संख्या कम होने के कारण उसे सिर्फ एक लोकलेखा समिति मिली।
भाई वीरेंद्र को उसका सभापति बना दिया गया।वे पहले भी इस समिति के सभापति थे। अगर राजद को एक से अधिक समिति मिलती तो ओसामा शहाब ही उसके सभापति होते। राजद की ओर से भेजी गई सूची में ओसामा का नाम दूसरे नंबर पर है।
चार नामों की RJD ने की थी अनुशंसा
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने शनिवार को सदन की 19 समितियों के गठन का आदेश दिया था। उसी दिन अधिसूचना भी जारी कर दी गई। नियमत: समितियों का गठन विस अध्यक्ष का विशेषाधिकार है, लेकिन, व्यवहार में वे उन्हें ही सभापति या समितियों के सदस्य बनाते हैं, जिनके नाम की अनुशंसा संंबंधित दल की ओर से की जाती है।
अपवाद में कभी अध्यक्ष किसी दल की अनुशंसा को अस्वीकार करते हैं। मुख्य विपक्षी दल RJD के मुख्य सचेतक कुमार सर्वजीत ने विधानसभा समितियों के सभापति पद के लिए कुल चार नामों की अनुशंसा की थी।
पहला नाम भाई वीरेंद्र का लोकलेखा समिति के लिए था। सूची में दूसरा नाम ओसामा शहाब का था। उनके नाम की अनुशंसा अल्पसंख्यक कल्याण समिति के सभापति पद के लिए की गई थी।
पूर्व मंत्री आलोक मेहता का भी था नाम
तीसरा नाम राजद के तीसरे विधायक आलोक कुमार मेहता का था। वे आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति के सभापति के लिए अनुशंसित हुए थे।
निवेदन समिति के सभापति पद के लिए सतानंद संबुद्ध ऊर्फ ललन यादव के नाम की अनुशंसा की गई थी। राजद ने इस समितियों पर अपने विधायकों के नाम की अनुशंसा इसलिए की, क्योंकि 17 वीं विधानसभा में उसे चार समितियों का सभापतित्व मिला था।
तक राजद बड़ा दल था। कुमार सर्वजीत ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि ओसामा को सभापति न बनाने के मुद्दे को अकारण हवा दिया जा रहा है।
वर्तमान विधानसभा में हमारे दल के सदस्यों की संख्या कम है। इसलिए विधानसभा की कम समितियां मिलीं। हालांकि हमें एक से अधिक समिति की अपेक्षा थी।

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