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    ध्रुपद गायन से जुड़े श्रोताओं के दिल के तार

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 10 May 2020 11:05 PM (IST)

    नवरस स्कूल ऑफ परफॉíमंग आ‌र्ट्स के बैनर तले फेसबुक लाइव के जरिये रविवार की शाम सजी महफिल ...और पढ़ें

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    ध्रुपद गायन से जुड़े श्रोताओं के दिल के तार

    पटना। नवरस स्कूल ऑफ परफॉíमंग आ‌र्ट्स के बैनर तले फेसबुक लाइव के जरिये रविवार की शाम ध्रुपद गायन की महफिल सजी। रविवार को रात आठ बजे दरभंगा घराने के वरिष्ठ ध्रुपद गायक पंडित जगत नारायण पाठक 'मल्लिक' ने फेसबुक लाइव होकर घराने की पुरानी शैलियों को संगीतप्रेमियों के साथ साझा किया। ग्वालियर के राजा मानसिंह के दरबारी और प्रसिद्ध ध्रुपद गायक बैजनाथ प्रसाद उर्फ बैजू बावरा के लिखे गीतों को भी पंडित मल्लिक ने फेसबुक पर साझा किया। उनकी प्रस्तुति के दौरान सोशल मीडिया से जुड़े कलाप्रेमियों और शहर की नामचीन हस्तियों ने खूब सराहना की। मल्लिक ने कार्यक्रम की शुरुआत राग वागेश्वरी में चार चरण के अलाप, जोड़, चर पद में बैजू बावरा की रचना 'नाद दरिया तामे तन जहाज, किन्हो उमड़ी फेरे लाओ चौपन..' को पेशकर सभी की वाहवाही लूटी। इसके बाद पंडित मल्लिक ने भगवान कृष्ण को याद करते हुए ध्रुपद में बंदिश 'लाल नहीं आयो होरि के दिनन में, ऐसे मूरख गवार..' की प्रस्तुति देकर लोगों को खूब आनंदित किया। गीतों के साथ बैंकग्राउंड में तबले के मधुर स्वर ने लोगों को आनंदित किया। मल्लिक ने कहा कि भारतीय संगीत की महत्ता आदि काल से है। संगीत साधना के साथ प्रकृति और जीव को एकाकार करने का भी सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जो लोग अपने घरों में बंद हैं, वे संगीत को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर आनंदित हों। कार्यक्रम के दौरान शहर के प्रसिद्ध हृदय रोग चिकित्सक एवं कला प्रेमी डॉ. अजित प्रधान सहित कई गणमान्य लोगों ने संगीत का आनंद उठाया।

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