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बिहार में शराबबंदी के एक साल: कुछ चुनौतियां जो आज भी बाकी हैं...

बिहार में शराबबंदी ने आज एक साल पूरे कर लिए हैं। इससे बिहार में एक बड़ा सामाजिक बदलाव आया है, लेकिन इससे आए सामाजिक बदलाव के बावजूद राज्य सरकार के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 04 Apr 2017 03:05 PM (IST)Updated: Wed, 05 Apr 2017 11:58 PM (IST)
बिहार में शराबबंदी के एक साल: कुछ चुनौतियां जो आज भी बाकी हैं...
बिहार में शराबबंदी के एक साल: कुछ चुनौतियां जो आज भी बाकी हैं...

पटना [काजल]। बिहार में शराबबंदी के आज एक साल पूरे हो गए हैं। 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी की बात चली और 5 अप्रैल को बिहार में शराब बंद कर दिया गया। ये दिन बिहार के लिए एक यादगार दिन के रूप में याद किया जाएगा। शराब बंदी के इस बड़े फैसले की एक ओर तारीफ हुई तो दूसरी ओर निंदा भी। सब झेलते हुए आखिरकार शराबबंदी ने अपने एक साल पूरे कर लिए।

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एक कोने से निकली शराबबंदी की आवाज गूंज रही चहुंओर

पटना के एसके मेमोरियल हॉल के एक कोने से निकली धीमी-सी आवाज- नीतीश जी शराब को बंद करा दीजिए, इस आवाज ने एेसा असर डाला कि बिहार में इसके लिए सख्त कानून बनाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बहुत बड़े सामाजिक दायित्व के निर्वहन का बीड़ा उठाया और उसे पूरा कर दिखाया। 

आज यह आवाज पूरे देश की आवाज बनती जा रही है, बिहार के साथ ही देश के कई राज्यों ने भी माना कि शराबबंदी जरूरी है। इसे देश के सबसे बड़े न्यायालय ने भी सही ठहराया और इसे लेकर कई आदेश भी दिए। शराबबंदी सामाजिक हित के लिए उठाया जाने वाला बहुत बड़ा कदम है,जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।

मार-पीट की जगह आती हैं हंसी-ठहाके की आवाजें

शराबबंदी के बाद बिहार की झुग्गी-झोपड़ियों से हंसी-ठहाके की आवाजें हैं, जहां पहले मार-पीट और गाली-गलौच मची रहती थी। बच्चे भूखे पेट सोया करते थे, महिलाएं शराबी पति से मार खाकर रोती रहती थीं। उन लोगों के लिए शराबबंदी एक वरदान साबित हुई है। उन झोपड़ियों में आज महिलाएं खुश हैं, पति शराब पीकर नहीं, दूध का पैकेट लेकर घर आता है। बच्चे स्कूल पढ़ने जा रहे हैं। अपराध का ग्राफ घटा है।

लोगों की राय है कि शराबबंदी का सबसे ज्यादा लाभ सामाजिक तौर पर हुआ है। शराबबंदी से समाज बदला है। महिलाओं में खुशहाली बढ़ी है। घरेलू हिंसा और घर में कलह कम हुआ है। शराबबंदी बेहतर चीज है, इसे समर्थन दिए जाने की जरूरत है।

महिलाओं में बढ़ी है सुरक्षा की भावना

शराबबंदी के बाद महिलाओं में सुरक्षा की भावना बढ़ी है। राज्य में शराबबंदी का ही नतीजा है कि शराबी पति को 16 साल पहले छोड़कर जा चुकी पत्नी फिर से पति से शादी कर अपने घर आ गई। उनकी जिंदगी पटरी पर लौट आई। अब महिलाएं चोरी-छिपे शराब पीने वाले पति की शिकायत पुलिस से कर उन्हें गिरफ्तार करवा रही हैं। सीवान जिले के महादेव सहायक थाना क्षेत्र के बंगाली पकड़ी इलाके की रहने वाली लाडो देवी ने अपने शराबी पति की शिकायत स्वयं पुलिस से की।

शराब कारोबारियों ने बदल लिया कारोबार, खुश हैं

राज्य में पांच अप्रैल, 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद इस धंधे में लगे कारोबारियों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है। कारोबारी अब इस धंधे को छोड़कर दूसरे कारोबार में जुट गए हैं।

नालंदा में भी शराब के धंधे से जुड़े कारोबारी अपना व्यवसाय बदलकर खुश हैं। जिले में देसी-विदेशी शराब की 219 दुकानें थीं। इन दुकानों में से कई में अब ताले लगे हैं, तो कुछ दुकानों में मोटर बाइंडिंग, तो कुछ में टाइल्स की दुकानें खुल गई हैं।

राज्य के गोपालगंज में शराब के बड़े व्यापारी पुरुषोत्तम सिंह अब हार्डवेयर के बड़े दुकानदार बन गए हैं। वे कहते हैं कि शराब के व्यापार में आमदनी तो खूब थी, मगर परिवार के लोग खफा रहते थे। आज स्थिति बदल गई है, परिवार में खुशी है।

राजधानी पटना में जहां सालभर पहले जहां-तहां शराब की दुकानें नजर आती थीं, मगर अब उन जगहों पर जूतों की दुकानें, आइसक्रीम पार्लर, दवा की दुकानें और होटल नजर आते हैं।

शराबबंदी को लेकर सरकार को लोगों का भरपूर समर्थन मिला है। शराबबंदी के समर्थन में राज्य में 21 जनवरी को 11 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी बनी मानव श्रृंखला बनी और इतिहास रचा गया तो वहीं इस महान का्र्य के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'अणुव्रत पुरस्कार' से सम्मानित भी किया गया।

लेकिन आज भी बिहार में चुनौती बने हुए हैं शराब तस्कर 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां शराबबंदी को पूरे देश में लागू करवाने की बात कर रहे हैं तो वहीं बिहार में लगातार शराब तस्कर पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं। चोर को चौरासी बुद्धि, इस कहावत को चरितार्थ करते हुए चोरी-छिपे रोज शराब की तस्करी जारी है। सरकार और प्रशासन की कवायद के बाद भी तस्करों पर लगाम लगाना मुश्किल होता जा रहा है।

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अवैध शराब का कारोबार अब भी जारी

ये दीगर बात है कि पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद बिहार में शराब के अवैध कारोबार पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया है। कई जगह चोरी-छिपे पड़ोसी राज्यों और नेपाल से शराब लाकर बेची जा रही है। छापेमारी में कई जगह मिट्टी में दबाकर रखी गई शराब की बोतलें मिली हैं तो कहीं तालाबों और कुंए के भीतर से शराब की बोतलें बरामद हो रही हैं। 

पूरे प्रदेश में एक साल में अबतक बरामद की गई शराब

पूरे प्रदेश में अब तक देश में निर्मित शराब (IMFL) 5,14,639 लीटर, बीयर 11,371 लीटर और देसी शराब 3,10,292 लीटर जब्त की जा चुकी है। गौरतलब है कि बिहार में बीते साल 5 अप्रैल की तारीख से ही शराबबंदी लागू की गई थी। आबकारी और मद्य-निषेध विभाग ने पुलिस की मदद से शराब पर सख्त निगरानी बरती है।

कुल 44,594 लोगों को किया गया गिरफ्तार

साल 2016 के भीतर नए मद्य-निषेध अधिनियम के तहत कुल 44,594 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, इनमें से जहां 20,149 लोगों को आबकारी विभाग ने गिरफ्तार किया, वहीं पुलिस ने 24,445 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। आबकारी विभाग और पुलिस ने साथ मिलकर कुल 2,16,595 छापे मारे और कुल 40,078 केस दर्ज किए।

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बिहार में शराबबंदी पांच अप्रैल, 2016 को लागू हुई थी और संशोधित नया कानून 2 अक्टूबर, 2016 को लागू हुआ था। शराबबंदी से बिहार सरकार को सालाना 4500 करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर देशव्यापी अभियान चलाना चाहते हैं, लेकिन बिहार में शराबबंदी आज भी एक चुनौती बनी हुई है।


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