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    मखदूम-ए-जहां के 661वें उर्स पर सीएम नीतीश कुमार ने की चादरपोशी, मांगी अमन-चैन की दुआ

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 07 May 2022 09:34 PM (IST)

    बड़ी दरगाह स्थित हजरत मखदूम शेख सरफुद्दीन अहमद यहिया मनेरी के 661वें उर्स के मौके मुख्यमंत्री नीतीश ने उनकी मजार पर चादरपोशी की। सीएम ने प्रदेश में अमन-चैन के लिए दुआ की। नीतीश ने कहा कि यहां दोबारा आने का मौका मिला है तो खुशी हो रही है।

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    बड़ी दरगाह में चादरपोशी करते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व अन्य।

    जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ (नालंदा) : बड़ी दरगाह स्थित हजरत मखदूम शेख सरफुद्दीन अहमद यहिया मनेरी के 661वें उर्स के मौके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी मजार पर चादरपोशी की। इस दौरान सीएम ने प्रदेश में अमन-चैन के लिए दुआ की। करीब 10 मिनट तक वहां रुकने के बाद नीतीश ने बड़ी दरगाह स्थित नवनिर्मित मुसाफिरखाना व खानकाह मुअज्जम स्थित मुसाफिरखाने का उद्घाटन किया। इसके बाद मखदूम-ए-जहां के दूसरे सज्जादानशीं हजरत हुसैन नौशए तौहीद बल्खी रह. के प्रवचनों के संग्रह मौलाना अली अरशद द्वारा लिखी पुस्तक गंजे ला यखफा के उर्दू अनुवाद का विमोचन किया। चादरपोशी के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि यहां पहले भी आते रहें हैं। बीच में कोरोना का समय था, इसलिए कार्यक्रम वृहद पैमाने पर नहीं हुआ। दोबारा आने का मौका मिला है तो खुशी हो रही है। सभी लोग प्रेम व भाईचारे के साथ रहें। एक-दूसरे की इज्जत करें। आगे बढ़ें। यही प्रार्थना है। इसके बाद मुख्यमंत्री पटना की ओर रवाना हो गए।

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    चप्पे-चप्पे पर तैनात थे पुलिसकर्मी

    मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था की पूरी व्यवस्था की गई थी। चप्पे-चप्पे पर पुलिस पदाधिकारियों के साथ सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। मुख्यमंत्री के साथ मखदूम ए जहां के गद्दीनशीं सैय्यद शाह सैफउद्दीन अहमद फिरदौसी, पटना सिटी स्थित मित्तन घाट खानकाह के गद्दीनशीं शमीमउद्दीन मोनमी, बक्फ बोर्ड के चैयरमैन इरशाद उल्लाह, सैय्यद मिमशाद फिरदौसी, छोटन बिहारी, मौलाना अली अरशद, इरशाद शर्फी, अहमद गजाली, सैय्यद शाह हुसाम फिरदौसी, फुजैल जिलानी, अनुपम कुमार, डा. सिद्धार्थ, मकसूद आलम, डीएम शशांक शुभंकर, एसपी अशोक मिश्रा सहित कई प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे।

    मुसाफिरखाना का सीएम ने किया उद्घाटन

    मखदूम ए जहां के गद्दीनशीं सैय्यद शाह सैफउद्दीन अहमद फिरदौसी ने बताया कि करीब चार करोड़ 83 लाख 44 हजार रुपये की लागत से बने दोनों मुसाफिरखाना लोगों के ठहरने के लिए बनकर तैयार हो चुका है। बड़ी दरगाह के पास 38 तो खानकाह-ए-मुअज्जम के पास 18 कमरे का मुसाफिरखाना बनाया गया है। ताकि, बाहर से आने वालों जायरीनों को ठहरने में किसी तरह की परेशानी न हो। वहां उनके लिए पानी, बिजली, बेड, चादर व अन्य सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध रहेंगी।