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    जानलेवा है नींद में सांस रुकना, दुनिया में 100 करोड़ से ज्यादा लोग हैं ग्रसित; जानें- लक्षण व बचाव

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 23 Feb 2022 09:09 PM (IST)

    पटना एम्‍स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. सौरभ करमाकर ने बताया कि बीते सप्ताह डिस्को किंग बप्पी लाहिड़ी की ओएसए से हुई मौत ने इस बीमारी को चर्चा में ला दिया है। बढ़ा वजन खर्राटे की समस्या और अनियमित दिनचर्या ओएसए रोग के खतरे को बढ़ा देते हैं।

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    यदि OSA के लक्षण नजर आएं तो नजरअंदाज करने के बजाय लें चिकित्सकीय परामर्श।

    पवन कुमार मिश्र, पटना। मशहूर संगीतकार बप्पी लाहिड़ी के निधन के बाद आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) यानी नींद के दौरान सांस रुकने की बीमारी चर्चा में है। समय पर इस रोग की पहचान नहीं होने के कारण उपचार में देरी से इसके रोगियों की नींद में ही हृदयाघात से मौत हो जाती है। इसमें सांस नली के चिपकने से आक्सीजन की कमी व सांस फूलने से हुए कंपन के कारण हृदय की गति बिगड़ती है।

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    चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, शरीर में 50 फीसद से कम आक्सीजन होने पर हृदयाघात से मौत होने की आशंका बढ़ जाती है। दुनिया में करीब 100 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। देश की करीब 10 फीसद, खासकर शहरी आबादी को स्लीप एपनिया की समस्या है। इसके कारण रात में ठीक से नींद नहीं आने और दिन में झपकी से सड़क हादसे की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। अभी तक इस रोग के उपचार की कोई दवा नहीं है। आटो सी-पैप मशीन लगाकर सोने से इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

    खर्राटे लेने वालों को ज्यादा खतरा: अधिक वजन और खर्राटा लेने वालों को आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित होने की आशंका ज्यादा होती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि खर्राटा लेने वाले हर व्यक्ति को यह समस्या होगी। खर्राटे लेने वालों को इसका खतरा इसलिए ज्यादा होता है, क्योंकि इससे होने वाला कंपन हृदय की कार्य प्रणाली पर दुष्प्रभाव डालकर हृदय रोगी बना सकता है। इस कंपन के कारण हृदय ऐसे हार्मोन का स्राव करता है, जिससे व्यक्ति को रात में कई बार यूरिन पास करने जाना पड़ता है। वहीं हृदय की चाल अनियमित होने से लकवा का खतरा भी बढ़ जाता है।

    लक्षणों की जानकारी है जरूरी: यह रोग बढ़े वजन के लोगों में अधिक होता है। खासकर उन पुरुषों में जिनका गला बहुत छोटा और थुलथुला होता है। यदि सुबह उठने पर सिर में भारीपन या दर्द हो, कार्यालय या वाहन चलाते समय झपकी आए, घरवाले खर्राटे की शिकायत करें या व्यक्ति एक तेज खर्राटे के साथ नींद से उठ जाए तो स्लीप एपनिया की जांच कराना अतिआवश्यक है। वहीं यदि किसी व्यक्ति का वजन अनियंत्रित है और बीपी व शुगर भी धीरे-धीरे अनियंत्रित होने लगे तब भी चिकित्सकीय परामर्श जरूरी हो जाता है।

    45 इंच से ज्यादा कमर व अधिक उम्र है खतरे की निशानी: यह स्पष्ट है कि ओएसए की समस्या मोटापे के कारण होती है। खासकर जिन लोगों की कमर 45 इंच से ज्यादा हो और उम्र भी अधिक हो, उन्हें बहुत सजग रहने की जरूरत है। ऐसे लोग बहुत जल्दी इसकी चपेट में आते हैं। अल्कोहल या धूमपान का सेवन इसका बड़ा कारण नहीं माना जाता है। हालांकि, यदि मधुमेह व उच्च रक्तचाप धीरे-धीरे अनियंत्रित होता जाए और बार-बार दवा की मात्रा बढ़ानी पड़े तो हो सकता है कि ओएसए की शुरुआत हो गई हो।

    जांच से होती है पुष्टि: इसकी पुष्टि पाली सोमनोग्राफी जांच से होती है। इसमें एक मशीन लगाकर नींद लेनी होती है। यह मशीन निगरानी करती है कि प्रति घंटे सांस की नली कितनी बार चिपकती है और उस दौरान शरीर में आक्सीजन की मात्रा कितनी कम होती है। इससे यह भी पता चल जाता है कि मरीज को हल्का, मध्यम या गंभीर, किस प्रकार का ओएसए है। इसकी जांच सरकारी व निजी अस्पतालों के माध्यम से हो जाती है।

    स्वस्थ जीवनशैली और स्लीप हाइजीन से मिल सकती है राहत

    • हल्की श्रेणी का ओएसए स्वस्थ जीवनशैली व स्लीप हाइजीन से काफी हद तक ठीक हो जाता है:
    • निश्चित समय पर सोएं व जगें
    • सोने के दो- तीन घंटे पहले हल्का भोजन लें
    • नींद के पहले अल्कोहल न लें
    • आधे से एक घंटा व्यायाम करें
    • वजन घटाने की कोशिश करें
    • कमर पतली करने का प्रयास करें
    • दोपहर में न सोएं
    • रात को हल्का खाना खाएं
    • एक दिन कम सोएं तो अगले दिन अधिक न सोएं

    मध्यम या गंभीर ओएसए का इलाज आटो सी-पैप मशीन: यदि ओएसए मध्यम या गंभीर है तो इसका एकमात्र उपचार आटो सी-पैप मशीन है। इसे लगाकर नींद लेने से जब सांस नली चिपकने लगती है तो इसका माइक्रो सेंसर उसकी पहचान कर लेता है और उस वक्त कृत्रिम सांस छोड़कर उसे खुला रखता है। इससे रातभर शरीर में आक्सीजन का पूर्ण संचार होता है और सांस अटकने जैसी समस्या नहीं होती है। इसकी कोई दवा नहीं है, ऐसे में मध्यम व गंभीर रोगियों को इस मशीन के साथ नींद लेना ही इसके गंभीर परिणामों से बचाव है। इसका उपचार होम आक्सीजन या आक्सीजन सप्लीमेंट नहीं होता है। यह मशीन अभी देश में नहीं बनती है। इसलिए गुणवत्ता के हिसाब से थोड़ी महंगी है।

    बढ़े वजन के साथ दमा की शिकायत है तो जरूरी है जांच: फिजीशियन इनहेलर देकर दमा रोगियों का उपचार करते हैं, लेकिन यदि कोई वजनी व्यक्ति दमा से पीड़ित है तो उनमें ओएसए की आशंका बढ़ जाती है। इनका उपचार सिर्फ इनहेलर से नहीं करना चाहिए। यदि इनहेलर से दमा नियंत्रित नहीं हो रहा हो तो ऐसे लोगों की पाली सोमनोग्राफी जांच करानी चाहिए। उन्हें दमा के साथ ओएसए होने की आशंका रहती है।

    लकवा रोगियों को भी ज्यादा खतरा: मोटापे के कारण जिस प्रकार हृदय रोग, गाल ब्लैडर में स्टोन, आर्थराइटिस, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप की आशंका बढ़ जाती है, उसी प्रकार आब्सट्रेक्टिव स्लीप एपनिया का भी खतरा बढ़ जाता है। यदि किसी को अचानक लकवा मार जाए, बीपी व शुगर अनियंत्रित होने लगे, नींद से जागने के बाद भारीपन रहे तो उसे स्लीप स्टडी जांच करानी चाहिए। स्लीप एपनिया का समय पर इलाज नहीं करने पर आक्सीजन स्तर घटने व कार्बन डाईआक्साइड बढ़ने से पैरों, एड़ी और चेहरे में सूजन, हृदयाघात या लकवा भी हो सकता है।

    आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया: सोते समय हर घंटे में सांस नली कई बार चिपकती और खुलती है। इस दौरान कई बार सांस का रास्ता 10 सेकेंड के लिए पूरी तरह या 50 फीसद चिपक जाता है और फिर खुलता है। ऐसा बार-बार होने से शरीर में आक्सीजन की मात्रा 50 फीसद से ज्यादा तक कम हो जाती है और कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इससे हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली मुख्य नसों में रक्तचाप काफी बढ़ जाता है। इससे बीपी व शुगर पर नियंत्रण कमजोर हो जाता है।