अब बैंकों में भी उपयोग होगी एआइ, आरंभ हुआ तैयारी, बैंकिंग एसोसिएशन ने किया विरोध
वित्तीय सेक्टर में एआइ के उपयोग की अनुशंसा की गई है। इससे बैंकों में एआइ के उपयोग का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही सरकारी और निजी बैंकों ने एआई आधारित तकनीकों को अपनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की कवायद आरंभ होगी। इसको देखते हुए देशभर के बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारी व अधिकारी एसोसिएशन ने विरोध आरंभ किया है।

जागरण संवाददाता, पटना। बैंकिंग सेक्टर में जल्द ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग होगा। इसके लिए गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भारतीय रिजर्ब बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) को सौंप दिया है। कंप्यूटर विशेषज्ञ व आइआइटी मुंबई प्राध्यापक प्रो. पुष्पक भट्टाचार्या की अध्यक्षता में प्री एआइ कमेटी गठित की गई थी।
इसमें वित्तीय सेक्टर में एआइ के उपयोग की अनुशंसा की गई है। इससे बैंकों में एआइ के उपयोग का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही सरकारी और निजी बैंकों ने एआई आधारित तकनीकों को अपनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की कवायद आरंभ होगी। इसको देखते हुए देशभर के बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारी व अधिकारी एसोसिएशन ने विरोध आरंभ किया है।
आल इंडिया बैंक आफिसर्स कंफडेरेशन (एआइबीओसी) के महासचिव रूपम राय ने बताया कि हमारा कंफडेरेशन तकनीक विरोधी है, लेकिन कोई भी नई पालिसी लाने से पूर्व चर्चा जरूरी है। इसमें इस बात भी चर्चा होनी चाहिए कि ग्राहकों के लिए कानूनी अधिकारों एवं कर्मचारियों के सुरक्षा के रूप में लागू नहीं किया गया तो एआइ जोखिम कम करने के बजाय जोखिम को कई गुणा बढ़ा देगा।
विशेषज्ञ बताते है कि कई प्रमुख बैंक जैसे भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक पहले से ही ग्राहक सेवा, ऋण स्वीकृति प्रक्रिया, धोखाधड़ी की पहचान और जोखिम प्रबंधन में एआई का प्रयोग कर रहे हैं।
ग्राहकों को इन सुविधाओं में मिलेगी एआइ सुविधा
- चैटबाट्स से त्वरित सहायता: अब ग्राहक 24x7 स्मार्ट चैटबाट्स की सहायता से अपने खाते की जानकारी, बैलेंस, ट्रांजेक्शन आदि जान सकेंगे।
- तेज और स्वचालित ऋण प्रक्रिया: एआई की मदद से ऋण के आवेदन की प्रक्रिया और जोखिम मूल्यांकन अधिक तेजी से हो सकेगा।
- फ्राड डिटेक्शन सिस्टम: ट्रांजेक्शन पैटर्न का विश्लेषण कर एआई संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत पहचान कर लेगा।
दोनों में स्पष्ट दायित्व का हो निर्धारण
एआइबीओसी के उपाध्यक्ष अमरेश विक्रमादित्य ने बताया कि एआई, मौजूदा बैंकिंग, आइटी, डेटा प्रोटेक्शन नियमों से अनुपालन के दायित्व को कम नहीं करता। ऐसे में व्यावहारिक रूप से जिम्मेदारी का निर्धारण कठिन हो जाता है। स्पष्ट दायित्व निर्धारण, अनुबंध में एआइ-विशिष्ट धाराएं और डेटा उपयोग के वैध आधार अनिवार्य किए जाएं। इसमें जिम्मेदारी केवल बैंकों पर डालना अनुचित है, क्योंकि निर्णय बैंक अधिकारी ही लागू करेंगे।
नीति-सम्मत एआई असफलताओं के लिए अधिकारियों को बलि का बकरा न बनाया जाए। गलत वर्गीकृत जोखिम से एनपीए और राइट आफ बढ़ सकते हैं। इसके लिए सख्त निगरानी और बोर्ड, नियामक को रिपोर्टिंग होनी चाहिए। यदि एआई का लाभ केवल बड़े कार्पोरेट्स तक सीमित रह गया और छोटे ऋण ग्राहकों को नुकसान हुआ, तो असमानता बढ़ेगी।
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