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    NMCH: एक-एक सांस के लिए तड़पती रही बुजुर्ग मह‍िला; तेजस्‍वी यादव के व‍िस क्षेत्र से इलाज के ल‍िए आई थी पटना

    By Ahmed Raza Hasmi Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Thu, 11 Dec 2025 08:01 PM (IST)

    पटना के NMCH में एक बुजुर्ग महिला इलाज के लिए तड़पती रही, लेकिन उसे सही समय पर इलाज नहीं मिला। राजद विधायक व नेता प्रत‍िपक्ष तेजस्वी यादव के विधानसभा ...और पढ़ें

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    खाली ऑक्‍सीजन सिलेंडर लगाकर भेज द‍िया गया था अल्‍ट्रासाउंड कराने। जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना सिटी। Bihar News: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) की चिकित्सा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है। यहां हर दिन चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। वार्ड में भर्ती ऑक्सीजन लगी 70 वर्षीया महिला को अल्ट्रासाउंड के लिए आधा किलोमीटर दूर एंबुलेंस की जगह भाड़े के ई रिक्‍शा से भेजा गया।

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    हद तो यह क‍ि जो सिलेंडर साथ भेजा गया, वो खाली था। जांच के लिए पहुंचने, रेडियोलॉजी  विभाग के गेट पर रोके जाने, जांच उपरांत अस्पताल लौटने के क्रम में लगभग एक घंटा तक मरीज सांस  खींचती रही।

    मरीज को सांस के लिए तड़पता देख स्वजन यहां-वहां भागते और मदद के लिए गिड़गिड़ाते रहे। पर अस्पताल की व्यवस्था मानो खुद वेंटिलेटर पर थी। ईश्वर की कृपा से मरीज वार्ड तक पहुंची, तब उसे ऑक्सीजन मिला।

    NMCH 2

    मरीज को लेकर ई रिक्‍शा से अल्ट्रासाउंड कराने सेंटर ऑफ  एक्सीलेंस  पहुंची पुत्री सरिता देवी और बहू रिद्ध‍ि कुमारी ने बताया कि टीबी व चेस्ट विभाग में राघोपुर के पहाड़पुर की 70 वर्षीया कांति देवी तीन दिनों से भर्ती हैं।

    एंबुलेंस नहीं मिलने पर गुरुवार की दोपहर 12:34 बजे स्वजन भाड़ा के ई रिक्‍शा से अल्ट्रासाउंड कराने के लिए अस्पताल से लगभग आधा किलोमीटर दूर सेंटर आफ एक्सीलेंस  स्थित रेडियोलॉजी  विभाग पहुंचे।

    स्वजन ने बताया कि मरीज को ऑक्‍सीजन मास्‍क लगा हुआ है। वार्ड से जो सिलेंडर साथ में दिया गया उसका ऑक्सीजन खत्म था। पुर्जा अस्पताल में छूट जाने के कारण गंभीर मरीज को अल्ट्रसाउंड कराने के लिए गेट पर ट्राॅली नहीं दी गई। 

    टेंपो पर बैठी महिला मरीज सांस खींचती रही। पुत्री ने बताया कि पुर्जा लाने के लिए फिर अस्पताल दौड़कर  गई। जब पुर्जा लेकर आई, तब ट्राॅली मिली। मरीज को अंदर ले गई, तो पहले से अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों की कतार लगी थी।

    मरीज की सांस और तेज चलने लगी। कुछ लोगों ने हस्तक्षेप कर वृद्धा का जल्दी से अल्ट्रासाउंड कराया। कर्मियों ने कहा कि सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं है, जल्दी वार्ड ले जाओ। घबराए स्वजन ट्रॉली  से मरीज को लेकर बाहर गेट पर आए।

    यहां से आधा किलोमीटर दूर टीबी चेस्ट विभाग के वार्ड में मरीज को ले जाने के लिए कोई साधन नहीं था। स्वजन टेंपो की खोज में यहां-वहां दौड़ते रहे। एक ई रिक्‍शा मिला। चालक की मदद से मरीज और खाली सिलेंडर ई रिक्‍शा पर रखकर  स्वजन अस्पताल भागे।

    भर्ती मरीजों की बेड पर जांच सुविधा नहीं, ई रिक्शा सेवा बंद

    एनएमसीएच की इमरजेंसी लेकर विभिन्न विभागों में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए भी बेड पर अल्ट्रासाउंड या एक्सरे किये जाने की सुविधा नहीं है। सभी मरीजों को स्वजन भाड़े की एंबुलेंस, टेंपो, अन्य वाहन या ट्रॉली  पर खींचकर  अस्पताल से बाहर लगभग आधा किलोमीटर दूर रेडियोलॉजी  विभाग ले जाते हैं।

    मरीजों को अस्पताल से जांच केंद्र लाने ले जाने के लिए ई रिक्शा की बहाल सेवा लगभग एक साल से बंद है। स्वजनों का कहना है कि अस्पताल से न एंबुलेंस दिया जाता है, न ही कोई और वाहन की सुविधा है। इस कारण अस्पताल परिसर टेंपो स्टैंड बना रहता है।

    अधीक्षक ने चुप्पी साधी, प्राचार्य बोली- संज्ञान लेना चाहिए

    इस मामले में अधीक्षक डॉ. प्रो. रश्मि प्रसाद से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन काट दिया। वाट्सएप पर मैसेज करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया। एनएमसीएच की प्राचार्य डॉ. प्रो. उषा कुमारी ने कहा कि गंभीर मरीज का अल्ट्रासाउंड पुर्जा का इंतजार किए  बिना किया जाना चाहिए था। ऑक्सीजन वाले मरीज का सिलेंडर कैसा था, गंभीर मरीज की बेड साइड जांच के लिए रेडियोलॉजी  विभाग के अध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार से बात करेंगे।

    ऑक्सीजन वाले मरीज को जांच के लिए भेजने से पहले सिलेंडर नर्स को चेक करना चाहिए था। ऐसे मरीज का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, जांच बेड पर ही होना चाहिए। पहुंचाने और लाने की सुविधा भी जरूरी है। पूरे मामले को देखता हूं। - डॉ.अजय कुमार सिन्‍हा, औषधि विभाग के अध्यक्ष सह टीबी चेस्ट विभाग के प्रभारी