NMCH में शिशु रोग विभाग के सभी बेड फुल, बच्चों में इस बीमारी का फैला प्रकोप
पटना सिटी में मौसम बदलने से बच्चों में AES का खतरा बढ़ गया है। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिशु रोग विभाग के सभी बेड भर चुके हैं जिनमें AES के लक्षण वाले कई मरीज शामिल हैं। वेंटिलेटर की कमी के कारण मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है। डॉक्टरों ने बच्चों को मच्छरदानी में सुलाने और साफ पानी पिलाने की सलाह दी है।

जागरण संवाददाता, पटना सिटी। मौसम में बदलाव, जलजमाव, मच्छर के प्रकोप से बच्चा मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी से लेकर नवजात गहन चिकित्सा इकाई और पीकू तक के सभी बेड मरीजों से भर चुके हैं।
इनमें एक्यूट एंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) के लक्षण वाले पांच से अधिक मरीज भर्ती हैं। विभाग में उपलब्ध सभी 14 वेंटिलेटर पर मरीज भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।
गंभीर मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में वेंटिलेटर की कमी के कारण मरीजों को रेफर करने की नौबत आ रही है। चिकित्सक वेंटिलेटर खाली होने तक इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं।
ओपीडी में 160 से अधिक बच्चे पहुंचे। इमरजेंसी में भर्ती गंभीर मरीजों का इलाज कर रही चिकित्सक डॉ. स्तुति, डा. फातिमा निशात व अन्य ने बताया कि अधिकांश मरीजों में एइएस के लक्षण यानी वायरल हेपेटाइटिस, वायरल बुखार, कंपन, सिर दर्द, बेहोशी, उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव, दौरे आना, निमोनिया आदि पाये जा रहे हैं।
लक्षणों के आधार पर एइएस के सरकारी गाइडलाइन अनुसार बच्चों का इलाज किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष डा. प्रो. बी पी जायसवाल ने बताया कि शिशु रोग विभाग की आठ बेड की इमरजेंसी, पांच बेड का पीकू, 24 बेड की नवजात गहन चिकित्सा इकाई मरीजों से भर चुकी है।
अन्य बच्चा मरीज भर्ती करने के लिए इन जगहों पर बेड उपलब्ध नहीं है। सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थित मदर एंड चाइल्ड होस्पिटल में खाली कुछ बेड पर मरीजों को रखा जा रहा है। विभाग में उपलब्ध सभी चौदह वेंटिलेटर पर गंभीर मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।
मरीज की हालत में सुधार होने पर वेंटिलेटर हटा कर दूसरे बच्चा मरीज को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि नीकू में पांच, पीकू में दो, इमरजेंसी में दो और एमसीएच में पांच वेंटिलेटर काम कर रहा है।
एइएस के लक्षणों से बचने को बरतें सावधानी
विभागाध्यक्ष डा. प्रो. बी पी जायसवाल ने बताया कि बच्चों को नियमित टीकाकरण कराएं। एइएस के लक्षणों से बचाव के लिए जेई टीका का दो डोज निर्धारित अवधि पर बच्चों को दिलाएं।
मच्छर के संक्रमण से बचने के लिए मच्छरदानी में ही बच्चे को सुलाएं। घर व आसपास पानी न जमा होने दें। बच्चों को फुल कपड़ा पहनाएं। साफ पानी पिलाएं। हाथ साफ से धोने की आदत बच्चों में डालें। ताजा और पौष्टिक खाना खिलाएं।
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