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    शिक्षा, स्वास्थ्य व बुनियादी ढांचा के साथ और क्‍या हैं नीतीश कुमार के पिटारे में; राज्‍यपाल ने एक-एक कर बताया

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Wed, 03 Dec 2025 07:04 PM (IST)

    बिहार के राज्यपाल ने नीतीश कुमार सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है। उन्होंने सरकार की ...और पढ़ें

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    सीएम नीतीश कुमार की नीत‍ियों, उपलब्‍ध‍ियों पर केंद्र‍ित रहा राज्‍यपाल का अभ‍िभाषण। जागरण

    राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Assembly: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां का अभिभाषण नीतीश सरकार की नीतियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर केंद्रित रहा।

    इसमें अगले पांच वर्षों के लिए विकास प्राथमिकताओं का खाका पेश किया गया। यह जन-कल्याण, सामाजिक न्याय, सुशासन और समावेशी विकास पर जोर देता है।

    शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा के विकास के साथ कृषि क्षेत्र के उत्थान पर फोकस है। युवाओं को उज्ज्वल भविष्य मानते हुए महिला सशक्तीकरण के प्रयास और आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है।

    अभिभाषण के बाद दो अध्यादेशों की प्रतियां सदन पटल पर रखी गईं। 17वीं विधानसभा द्वारा पारित 11 विधेयकों को स्वीकृत किए जाने की जानकारी दी गई।

    अभिभाषण के महत्वपूर्ण पहलू

    विधि-व्यवस्था : अब किसी तरह के भय का वातावरण नहीं। राज्य में प्रेम, भाईचारा व शांति का माहौल है। 24 नवंबर, 2005 को बिहार में मात्र 42481 पुलिसकर्मी थे, जो बढ़कर 1.26 लाख हो गए हैं।

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    महिला पुलिस बल की संख्या किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। वर्ष 2023 में पुलिस बल को बढ़ाकर 2.29 लाख करने का निर्णय हुआ था और तेजी से नियुक्ति हो रही है।

    पुलिस थानों की संख्या भी 814 से बढ़कर 1380 हो गई है। आपातकालीन सेवा (डायल-112) अब राज्य के हर कोने से उपलब्ध है, जबकि पहले यह केवल शहरों और जिला मुख्यालयों तक सीमित थी।

    आठ हजार से अधिक कब्रिस्तानों की घेराबंदी हो चुकी है और 1273 की हो रही। 60 वर्ष से पुराने मंदिरोंं की भी घेराबंदी हुई है।

    रोजी-रोजगार : युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार और आजीविका के साधन उपलब्ध कराने का शुरू से प्रयास रहा है। वर्ष 2020 में ‘सात निश्चय-2’ के अंतर्गत 10 लाख सरकारी नौकरियां और उतने ही अन्य रोजगार सृजित करने का लक्ष्य था।

    अब तक 50 लाख युवाओं को रोजगार मिला है, जिनमें 10 लाख सरकारी नौकरियों हैं। अगले पांच वर्षों के लिए एक करोड़ नौकरी-रोजगार सृजित करने का लक्ष्य है।

    महिला सशक्तीकरण : महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत और पंचायतों व नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा।

    2006 में शुरू हुए स्वयं सहायता समूहों (जीविका) की संख्या अब 11 लाख से अधिक है और जीविका दीदियों की संख्या 1.40 करोड़। शहरी क्षेत्रों में बनाए गए 1.41 लाख स्वयं सहायता समूहों में चार लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं।

    मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के अंतर्गत हर घर की एक महिला को रोजगार के लिए 10000 रुपये दिए जा रहे। अब तक 1.56 करोड़ महिलाएं यह राशि पा चुकी हैं।

    शेष पात्र महिलाओं को भी यथाशीघ्र राशि उपलब्ध कराई जाएगी। जिन महिलाओं का रोजगार अच्छा चलेगा, उन्हें दो लाख रुपये तक अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

    शिक्षा-स्वास्थ्य : सरकारी शिक्षकों की संख्या 5.20 लाख हो गई है। कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के बाद अब दूसरे राज्य के छात्र बिहार आ रहे।

    प्रत्येक जिले में इंजीनियरिंग व पालीटेक्निक की पढ़ाई हो रही है। पहले मात्र छह सरकारी मेडिकल कालेज थे। उनकी संख्या अब 12 हो गई है। शेष 27 जिलों में नए मेडिकल कालेज बनाए जा रहे।

    पीएमसीएच में 5400 बेड व बाकी पांच पुराने मेडिकल कालेज व अस्पताल में 2500 बेड बनाए जा रहे। आइजीआइएमएस को 3000 बेड के रूप में विकसित किया जा रहा।

    वर्ष 2005 तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रति माह मात्र 39 मरीज आते थे। अब औसतन 11600 मरीज आ रहे।

    सड़क-परिवहन : राज्य के सुदूर क्षेत्रों से छह घंटे में राजधानी पटना पहुंचने का लक्ष्य 2016 में ही पूरा हो गया था। बड़ी संख्या में सड़कों व पुल-पुलियों के निर्माण से अब पांच घंटे में पटना पहुंचना संभव है।

    पांच एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो जाने के बाद यह समय और कम हो जाएगा। प्रखंड मुख्यालयों को जोड़ने वाली सड़कों का चौड़ीकरण भी होगा। 

    कृषि : अभी चौथे कृषि रोड-मैप का क्रियान्वयन हो रहा। 162268 करोड़ की योजनाएं स्वीकृत हैं। साथ ही 21 कृषि बाजार प्रांगणों के आधुनिकीकरण पर 1289 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे।