PM के साथ मंच पर बैठे नीतीश बोल गए गलत तारीख, सोशल मीडिया पर समस्तीपुर रैली का वीडियो वायरल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की शुरुआत में समस्तीपुर रैली के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक गलत तारीख बता दी, जिससे सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई। उन्होंने लालू परिवार पर हमला बोला और 2005 के बाद बिहार में विकास का दावा किया। विपक्ष ने इस गलती पर तंज कसा, जबकि जदयू समर्थकों ने इसे मानवीय भूल बताया। इस रैली ने एनडीए के चुनावी अभियान की शुरुआत की।

जनसभा में PM नरेन्द्र मोदी के साथ मंच पर बैठे नीतीश कुमार
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की शुरुआत एनडीए की बड़ी जनसभा से हुई, लेकिन इस मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक छोटी चूक सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करते हुए नीतीश कुमार ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा, “आप सब जानते हैं कि 24 नवंबर 2025 को एनडीए, जदयू, बीजेपी की सरकार बनी थी...”
जबकि हकीकत यह है कि नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
उनकी यह गलती सुनते ही मंच के सामने मौजूद कई लोग हैरान रह गए — और कुछ देर बाद ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
बिना कागज देखे बोलने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बार लिखा हुआ भाषण पढ़ा, लेकिन उम्मीदवारों के नाम लेते वक्त कई बार रुकना पड़ा। कई मौकों पर उन्होंने पन्ना पलटते हुए दर्शकों से कहा — “थोड़ा देख लीजिए कौन सीट से कौन है...”
इस दौरान मंच पर मौजूद पीएम मोदी और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मुस्कुराते नजर आए।
लालू परिवार पर तीखा हमला
भाषण में नीतीश कुमार ने एक बार फिर लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“दो बार उनके साथ गया, दोनों बार गड़बड़ हुई। लालू जी ने बिहार को डर का माहौल दिया। उस दौर में लोग शाम को घर से निकलने से डरते थे।”
उन्होंने दावा किया कि 2005 के बाद बिहार में कानून का राज और विकास दोनों स्थापित हुए हैं।
विपक्ष का तंज, समर्थकों का बचाव
सभा के बाद आरजेडी समेत विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार की गलती को लेकर सोशल मीडिया पर चुटकी ली — किसी ने कहा “सीएम को तारीख याद नहीं,” तो किसी ने लिखा “थके हुए हैं नीतीश।”
वहीं जदयू समर्थकों ने इसे मानवीय भूल बताते हुए कहा कि “महत्व तारीख का नहीं, विकास के इरादे का है।”
नीतीश कुमार की इस छोटी सी गलती ने जहां सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, वहीं एनडीए समर्थकों ने इसे “थकान और व्यस्तता का असर” बताया। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री लगातार सभाओं और कार्यक्रमों में व्यस्त हैं, ऐसे में ऐसी भूलें स्वाभाविक हैं।
हालांकि, विपक्ष ने मौके को हाथ से जाने नहीं दिया और इसे “कन्फ्यूज़न की राजनीति” करार दिया।
बहरहाल, समस्तीपुर की यह रैली एनडीए के लिए चुनावी शुरुआत का अहम मंच साबित हुई, जिसने साफ किया कि नीतीश-मोदी की जोड़ी एक बार फिर जनता के बीच विकास और स्थिरता का संदेश लेकर उतर चुकी है।
अब देखना यह होगा कि जनता इस संदेश को कितनी गंभीरता से लेती है और नीतीश कुमार की यह “चूक” प्रचार का मुद्दा बनती है या महज़ एक बीती बात बनकर रह जाती है।

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