'10 बैठकें रोज़ाना': नीतीश कुमार परिवार ने स्वास्थ्य अफवाहों को ठुकराया, NDA की जीत के लिए बिहारवासियों को धन्यवाद
बिहार में एनडीए की जीत के बाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर उठे सवालों को उनके परिवार ने खारिज किया है। उनके भाई सतीश कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार रोजाना 10 बैठकें करते हैं। बेटे निशांत कुमार ने मतदाताओं को धन्यवाद दिया और इस जीत को उनके पिता की 20 साल की मेहनत का फल बताया। परिवार ने नीतीश कुमार के भविष्य में भी सक्रिय रहने का संकेत दिया है।

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में NDA की जबरदस्त जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर उठे सवालों पर उनका परिवार सीधा उतर आया है। हाल ही में सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में उनके स्वास्थ्य को लेकर अफवाहें उड़ी थीं, लेकिन अब उनके भाई सतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है कि ये सब “पूरी तरह गलत” है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार दिन में 10 बैठकें तक करते हैं, और यदि उनकी सेहत खराब होती तो इतना काम करना संभव ही नहीं होता।
न सिर्फ सतीश, बल्कि नीतीश के बेटे निशांत कुमार ने भी जनता के नाम आभार व्यक्त किया है। निशांत ने बिहार के मतदाताओं को धन्यवाद दिया और बताया कि यह NDA की यह जीत उनके पिता की 20 साल की मेहनत का इनाम है। उन्होंने कहा कि यह जनादेश सिर्फ जीत ही नहीं बल्कि जनता के विश्वास की गारंटी है।
वोटरों के इस जबरदस्त रुझान को देखते हुए नीतीश कुमार की नेतृत्व शक्ति और लोकप्रियता स्पष्ट हो गई है। उनकी “बेधड़” छवि, जन-कल्याणकारी योजनाएं और निरंतर विकास का एजेंडा इस चुनाव में NDA को भारी बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिखे हैं।
हालांकि, विपक्ष ने नीतीश की उम्र और स्वास्थ्य पर बार-बार सवाल उठाए हैं। उनकी निरंतर सक्रियता, सार्वजनिक बैठकों और रैलियों ने ये शक पैदा किया कि कहीं वे अब थक चुके हैं।
इस मुद्दे पर कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि स्वास्थ्य को चुनावी हथियार बनाने की कोशिश हो रही है, जबकि कोई ठोस सबूत नहीं है।
जदयू और NDA पार्टनर नेताओं ने भी नीतीश की “शरीरी क्षमता” की पुष्टि की है। हाल ही में, लाइव हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट में बताया गया कि नीतीश ने कार से 10 घंटे के भीतर 7 रैलियाँ कीं—जो उनकी ऊर्जा और फिटनेस का सीधा सबूत है।
नीतीश कुमार की यह जीत महज एक चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि उनके दीर्घकालीन राजनीतिक कैरियर की भी मुहर है। उनके बेटे निशांत ने कहा है कि जनता ने उन्हें सिर्फ वोट से नहीं सम्मानित किया है, बल्कि उनके जनसेवा और सुशासन के 20 सालों पर भरोसा जताया है।
परिवार की प्रतिक्रिया सिर्फ एक आत्म-रक्षा नहीं है, बल्कि अगले राजनीतिक अध्याय की तैयारी भी है। स्वास्थ्य पर उठे सवालों को खारिज कर उन्होंने यह संकेत दिया है कि नीतीश कुमार भविष्य में भी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
नतीजा यह है कि बिहार की जनता ने इस बार सिर्फ एक पार्टी को नहीं चुना, उन्होंने नेताओं की विख्यात सक्रियता, उनकी विश्वसनीय छवि और मजबूत नेतृत्व को माना है।

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