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    'कुछ लोग खुद को बता रहे जननायक, कर्पूरी ठाकुर का किया अपमान'; CM नीतीश का सियासी हमला

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 06:34 PM (IST)

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न नहीं दिया। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर द्वारा पिछड़ों को आरक्षण देने पर कांग्रेस के विरोध का भी उल्लेख किया। नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार ने वंचितों के उत्थान के लिए काम किया है और कर्पूरी ठाकुर के सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने राजद पर कर्पूरी ठाकुर के अपमान का मौन समर्थन करने का आरोप लगाया।

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    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।

    राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने नहीं माना था। इसके अलावा जब 15 नवंबर 1978 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने जब पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया था तब उस समय की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसका जमकर विरोध किया था।

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    नीतीश कुमार ने लिखा कि राजनीति में शुचिता एवं सादगी के प्रतीक तथा सामाजिक न्याय के लिए अभूतपूर्व प्रयास करने वाले कर्पूरी ठाकुर हम सबके प्रेरणास्रोत हैं। हमलोग उनके आदर्शों पर चल रहे हैं। उनके सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।

    मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, हमलोग शुरू से कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ सम्मान देने की मांग कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने ही कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। आज कल कुछ लोग अब स्वयं को जननायक घोषित कर असली जननायक को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर जैसे विराट व्यक्तित्व के अपमान का राजद और महागठबंधन के अन्य सहयोगी दलों द्वारा मौन समर्थन करना शर्मनाक है।

    बकौल नीतीश, आज कांग्रेस के साथ राजद का गठबंधन है, क्योंकि राजद के शीर्ष नेता भी शुरू से ही अति पिछड़ों को आरक्षण देकर आगे बढ़ाने के विरोधी रहे। कर्पूरी द्वारा वर्ष 1978 में सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्ग के लोगों को 8 प्रतिशत तथा अति पिछड़े वर्ग के लोगों को 12 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया।

    मुख्यमंत्री के अनुसार, वर्ष 1993 में जब यह पता चला कि बिहार में भी मंडल कमीशन की तर्ज पर अति पिछड़ों एवं पिछड़ों को एक वर्ग में डालने की बात हो रही है तो मैंने साफ तौर पर इसका विरोध किया। 24 जनवरी 1993 को हमने स्पष्ट रूप से कह दिया कि कर्पूरी जी के द्वारा जो आरक्षण लागू किया गया है, उसमें अगर कोई छेड़छाड़ होगी और उसमें अगर कोई परिवर्तन करने की कोशिश होगी तो हमलोग इसका पूरजोर विरोध करेंगे।

    नीतीश ने लिखा कि बिहार की जनता ने जब नवंबर 2005 में मुझे मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का मौका दिया, उसके बाद मैंने पंचायतों में महिलाओं और अति पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रविधान किया। पिछले चार पंचायत चुनावों में लाखों महिलाओं एवं वंचित तबकों के लोगों को नेतृत्व का अवसर मिला, जिससे गांव-समाज में उनका सम्मान बढ़ा, उनकी आवाज बुलंद हुई। पिछले 20 वर्षों में हमने ‘न्याय के साथ विकास’ की नीति के तहत बिना किसी भेदभाव के, समाज के वंचित तबकों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए लगातार काम किया है।

    इसके लिए अनेक दूरगामी योजनाओं की न केवल शुरूआत की, बल्कि उनका कारगर कार्यान्वयन भी सुनिश्चित किया है। इस तरह हमने वंचित तबकों के उत्थान के कर्पूरी जी के सपनों को धरातल पर साकार करने के लिए हरसंभव प्रयास किया है और आगे भी करते रहेंगे।