Bihar Politics: नीतीश ने गिना दिए 2005 से पहले के घोटाले, लोगों को याद दिलाया अलकतरा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2005 से पहले बिहार में सड़कों के रखरखाव में भ्रष्टाचार होता था। सड़कें जर्जर थीं और पुलों की कमी थी, जिससे यातायात बाधित होता था। नई सरकार ने सड़कों का निर्माण और जीर्णोद्धार कराया, पुलों का जाल बिछाया, और रखरखाव नीति लागू की। मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के तहत कई पुल-पुलियों का निर्माण किया गया और रेल ओवरब्रिज की संख्या बढ़ाई गई।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।
राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने गुरुवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि 2005 के पहले सड़कों के रखरखाव के नाम पर बिहार में खूब भ्रष्टाचार होता था। अलकतरा घोटाला भी हुआ। तब ग्रामीण बसावटों को बारहमासी संपर्कता प्रदान करने की कोई ठाेस योजना नहीं थी।
मुख्यमंत्री ने लिखा कि 2005 से पहले राज्य में बहुत कम सड़कें थीं और जो सड़कें थीं उनका बुरा हाल था। सड़कों के मेंटेनेंस की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। सड़कों के मेंटेनेंस के नाम पर खूब भ्रष्टाचार होता था। अलकतरा घोटाला भी उसी वक्त हुआ। गंगा नदी पर केवल चार पुल, कोसी नदी पर दो, गंडक नदी पर चार और सोन नदी पर दाे पुल थे जो 1990 के काफी पहले बने थे।
बकौल मुख्यमंत्री वर्ष 2005 से पहले पूरे राज्य में मात्र 11 रेल ओवरब्रिज थे, जिसके चलते कई जगहों पर घंटों जाम की स्थिति होती थी। राज्य की ग्रामीण बसावटों को बारहमासी संपर्कता प्रदान करने की कोई ठोस योजना नहीं थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू की थी, जिसमें एक हजार या उससे अधिक आबादी वाली बसावटों को ही जोड़ने की योजना थी, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने आगे लिखा, सड़कों के लिए भू-अर्जन नहीं किया गया, जिस कारण यह योजना भी आंशिक रूप से ही कार्यान्वित हो सकी। सब को याद होगा जब जर्जर सड़कें बिहार की पहचान बन गईं थीं। राज्य के किसी भी हिस्से में आने-जाने में लोगों को सोचना पड़ता था। थोड़ी दूरी का सफर तय करने में भी लोगों को घंटों लग जाते थे। सड़क में गड्ढा था या गड्ढे में सड़क, यह तय कर पाना मुश्किल था।
नीतीश ने लिखा कि उस वक्त मैं तत्कालीन केंद्र सरकार में मंत्री था। जब भी बिहार आता था और अपने क्षेत्र में जनता से मिलने जाता था तो सड़कों के अभाव में कई किलोमीटर तक पैदल ही चलना पड़ता था। ऐसा भी सुनने में आता है कि पहले जिन लोगों के हाथ में राज्य की सत्ता थी, वे कहते थे कि राज्य में अच्छी सड़कें बन जाएंगी तो पुलिस जल्दी गांवों में पहुंच जाएगी और अपराधी पकड़े जाएंगे। इसका मतलब ये कि वे खुद भी अपराध को संरक्षण देते थे। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू की थी, जिसमें एक हजार या उससे अधिक आबादी वाली बसावटों को ही जोड़ने की योजना थी, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया। सड़कों के लिए भू-अर्जन नहीं किया गया, जिस कारण यह योजना भी आंशिक रूप से ही कार्यान्वित हो सकी।
नीतीश ने कहा कि 24 नवंबर 2005 को राज्य में नई सरकार के गठन के बाद प्राथमिकता के आधार पर नई सड़कों का निर्माण कराया गया, पुरानी सड़कों का जीर्णोद्धार एवं चौड़ीकरण कराया गया तथा पुल एवं पुलियों का जाल बिछाया गया। बड़े पैमाने पर बने पथों के रख-रखाव के लिए एक विशिष्ट दीर्घकालीन अनुरक्षण नीति लागू की गई। हमलोगों की सरकार बनने के बाद राज्य में लगभग 20 नए बड़े पुल बनाए गए। इसमें गंगा नदी पर भोजपुर में वीर कुंवर सिंह सेतु, पटना में जे॰पी॰ सेतु, मुंगेर में श्रीकृष्ण सिंह सेतु, पटना से राघोपुर दियारा को जोड़ने वाली कच्ची दरगाह-राघोपुर सिक्स लेन पुल, औंटा-सिमरियाधाम पुल के निर्माण के साथ ही बक्सर स्थित वीर कुंवर सिंह पुल पर अतिरिक्त 2 लेन का निर्माण कराया गया। गंगा नदी पर 10 नए पुलों का निर्माण कार्य जारी है।
सीएम ने लिखा कि कोसी नदी पर कोसी महासेतु समेत तीन नए पुलों का निर्माण कराया गया है तथा तीन अतिरिक्त पुलों का निर्माण कार्य जारी है। राज्य की छोटी नदियों और नहरों पर पुल-पुलियों के निर्माण के लिए वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना की शुरुआत की गई। इसके तहत अब तक 6 हजार से अधिक पुल-पुलियों का निर्माण कराया जा चुका है। इस योजना के तहत 2024 के बाद 649 नए पुल के निर्माण की स्वीकृत दी गई है। कई पुराने पुलों को 4 लेन से 6 लेन पुल में परिवर्तित किया जा रहा है। अब राज्य में रेल ओवरब्रिज की संख्या 11 से बढ़कर 87 हो गई है और 40 से अधिक नए रेल ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं।

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