नीतीश सरकार क्यों और किसे देती है 7000? सोशल मीडिया पर सीएम ने विस्तार से दी जानकारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पहले आपदा के नाम पर सरकारी खजाने में लूट होती थी। 2005 से पहले आपदा से बचाव का कोई काम नहीं होता था। नई सरकार बनने पर आपदा प्रबंधन विभाग बनाया गया और राहत सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था की गई। बाढ़ पीड़ितों को 7,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है और आपदा से बचाव के लिए कई उपाय किए गए हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर किया पोस्ट।
वर्ष 2005 से पहले राज्य में आपदा से बचाव के लिए कोई काम नहीं होता था। बाढ़, सुखाड़, अगलगी, भूकंप आदि से बचाव के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए जाते थे। उत्तर बिहार के लोग बाढ़ से, तो दक्षिण-पश्चिम बिहार के लोग सूखे से परेशान रहते थे, लेकिन तत्कालीन सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं… pic.twitter.com/Pj5YcGslbb
— Nitish Kumar (@NitishKumar) November 7, 2025
राज्य ब्यूरो, पटना। CM Nitish Kumar on X: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि पहले आपदा के नाम पर सरकारी खजाने में जमकर लूट-खसोट होती थी।
वर्ष 2005 के पहले आपदा से बचाव का बिहार में कोई काम नहीं होता था। उत्तर बिहार के लोग बाढ़ से, तो दक्षिण-पश्चिम बिहार के लोग सूखे से परेशान रहते थे, लेकिन तत्कालीन सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं होती थी।
प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए संसाधनों का घोर अभाव था। आपदा के नाम पर सरकारी खजाने में जमकर लूट-खसोट होती थी। बाढ़ पीड़ितों को जो थोड़ा बहुत मिलता था, उसके लिए भी उन्हें महीनों तक मशक्कत करनी पड़ती थी।
सत्ता में बैठे लोग बाढ़ पीड़ित लोगों तक राहत-सामग्री पहुंचाने के नाम पर करोड़ों रुपए डकार गए थे। तब बाढ़ राहत घोटाले की चर्चा देश भर के अखबारों की सुर्खियां बनती थीं।
प्राथमिकता के आधार आपदा प्रबंधन का काम
मुख्यमंत्री ने लिखा कि 24 नवंबर 2005 को राज्य में जब नई सरकार का गठन हुआ, तो हमलोगों ने प्राथमिकता के आधार पर आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई काम किए।
सबसे पहले राज्य में हमलोगों ने अलग से आपदा प्रबंधन विभाग बनाया, ताकि आपदा से जुड़े हर तरह के काम एक ही छत के नीचे हो सके।
वर्ष 2010 में आपदाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का सूत्रण किया गया, जिसमें बाढ़ एवं सुखाड़ की पूर्व तैयारियों, राहत एवं बचाव तथा बाढ़ एवं सुखाड़ के पश्चात की जाने वाली कार्रवाई का स्पष्ट उल्लेख है।
आपदा के वक्त बिना देर किए प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था की ताकि आपदा की घड़ी में लोगों को त्वरित राहत मिल सके।
संकट के समय जरूरतमंद लोगों को तुरंत सूखा राहत सामग्री जैसे- चूड़ा, गुड़, आटा, चावल, दाल, चना, पीने के लिए पानी का पैकेट, जरूरी दवाइयां, तिरपाल, स्वच्छता किट, बाल्टी, साबुन, मोमबत्ती, माचिस और कपड़े जैसी बुनियादी घरेलू सामान पहुंचाने का इंतजाम किया गया।
इसके साथ ही बाढ़ पीड़ित परिवारों को हमलोगों ने तत्काल एक क्विंटल अनाज देना शुरू किया। मुख्यमंत्री ने लिखा कि हमलोगों ने 2007 से ही बाढ़ पीड़ितों की कठिनाइयों को देखते हुए आनुग्रहिक अनुदान देना शुरू किया, जो अब बढ़कर 7,000 रुपए हो चुका है, जो सीधे बाढ़ प्रभावित लोगों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेज दी जाती है।
हमलोगों का यह मानना है कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। बाढ़ राहत शिविरों में शरण लेने वाले लोगों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से वस्त्र तथा बर्तन के साथ-साथ साबुन, तेल, कंघी आदि की व्यवस्था की जाती है।
साथ ही बाढ़ अवधि में आबादी निष्क्रमण के दौरान नाव पर, अस्पताल में अथवा राहत शिविरों में जन्म लेने वाले प्रत्येक नवजात बच्चे के लिए 10 हजार रूपए एवं प्रत्येक नवजात बच्ची के लिए 15 हजार रूपए की राशि प्रदान की जाती है।
जान-माल की सुरक्षा के किए उपाय
नीतीश ने लिखा कि आपदा से बचाव के लिए हमलोगों ने वर्ष 2007 में आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा 14 के तहत बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया।
राज्य में बाढ़ से आपदा के समय लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं। वर्ष 2010 में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की तर्ज पर राज्य में अपने स्तर से स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स का गठन किया।
एसडीआरएफ राज्य में बाढ़, भूकंप, आग और अन्य प्राकृतिक व मानव-जनित आपदाओं के दौरान खोज, बचाव और राहत कार्यों में अपनी अहम भूमिका निभा रही है।
इसी प्रकार वर्ष 2011 में सूखा प्रबंधन नीति बनाई, जिसमें कृषि और जल संसाधन विभाग के समन्वय के कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए।

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