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    नीतीश ने भांप लिया था मांझी का 'मन'; बताया किस वजह से महाबैठक में नहीं बुलाया, सदा को मंत्री बनाकर साधा समीकरण

    By Jagran NewsEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Fri, 16 Jun 2023 05:01 PM (IST)

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को लेकर मीडिया के सामने अपनी बात साफ कर दी है। उन्हें मांझी की मंशा को लेकर पहले से अंदेशा हो गया था। इस बात को उन्होंने मीडिया समक्ष साफ लहजे में रखा।

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    मांझी अगर साथ रहते तो भाजपा को हमलोगों की सूचना पहुंचाते रहते : नीतीश

    राज्य ब्यूरो, पटना। हम नेता जीतन राम मांझी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भरोसा नहीं था। उनका आकलन यह था कि अगर वह साथ रहते तो भाजपा को सूचना पहुंचाते रहते।

    विपक्षी एकजुटता को लेकर पटना में होने वाली बैठक का संदर्भ लेते हुए उन्होंने कहा कि वह उक्त बैठक में शामिल होना चाहते थे।

    पर अगर ये लोग साथ रहते तो बैठक में जो कुछ भी बातें होतीं उसके बारे में भाजपा को पूरी खबर हो जाती। सभी दल अपनी-अपनी बातें करते और वह बाहर आ जातीं।

    राजभवन में रत्नेश सदा के मंत्री पद के शपथग्रहण कार्यक्रम में शामिल होकर लौटने के क्रम में मुख्यमंत्री ने यह बात कही।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जीतन राम मांझी से कहा था कि वह अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर लें। अगर यह संभव नहीं तो अलग हो जाएं।

    यह बात सभी को मालूम है कि मांझी भाजपा के लोगों से मिल रहे थे। हमारे यहां भी वह आकर मिल रहे थे और सारी बातें कहते थे। इसकी जानकारी मुझे थी।

    एक बार जब वह हमसे मिलने आए तो हमने उनसे कहा कि आपको हमने जितना सम्मान दिया है उतना कोई और नहीं दे सकता है।

    हमने उनसे साफ कहा कि अगर हमारे साथ रहना है तो अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर लीजिए और नहीं तो फिर अलग हो जाइए।

    उन्होंने विलय की बात स्वीकार नहीं की और अलग हो गए। हम लोगों ने तो अपने कोटा से उनको मंत्री पद दिया था।

    रत्नेश सदा को मंत्री बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि इन्हें हम बहुत पहले से जानते हैं। तीसरी बार चुनाव जीतकर आए हैं। इनके बारे में पार्टी के अन्य लोगों से बात की और इन्हें भी बुलाया।

    इसके बाद इनके मंत्री पद पर शपथग्रहण के बारे में राज्यपाल से बात की गई। समय से पहले लोकसभा चुनाव कराए जाने के बारे में जब मुख्यमंत्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह चाहे तो समय से पहले चुनाव करा सकती है।

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    जिस सरकार को बहुमत है, वह समय से पहले चुनाव करा सकती है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने समय के तीन-चार माह पहले ही चुनाव करा दिया था।

    वैसे अटलजी ऐसा नहीं चाहते थे। विपक्ष की एकजुटता की शुरूआत हो गई है। इसलिए भाजपा को ऐसा लग सकता है कि ये लोग एक साथ मिलकर बहुत मूवमेंट करेंगे तो अधिक नुकसान होगा।

    इसलिए वह पहले भी चुनाव करा सकते हैं। हमने तो ऐसे ही समय से पहले चुनाव की बात कही थी। इसकी संभावना तो हमेशा बनी रहती है। यही वजह है कि हमने सारी पार्टियों को अलर्ट किया है कि आप लोग मिलकर लड़ेंगे तो आप जीतेंगे।