पांच वर्षों तक बिना संकट चलेगी नीतीश सरकार! 2020 की तुलना में कितना सशक्त हुआ NDA?
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार अगले पांच साल तक बिना किसी बड़े संकट के चलने की संभावना है। 2020 के चुनावों की तुलना में एनडीए अब अधिक मजबूत है। नीतीश कुमार के नेतृत्व और विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, सरकार सुशासन और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भी ध्यान देगी। विपक्षी दलों को सरकार को घेरने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Election News: 18 वीं विधानसभा के लिए दो चरणों में हुए मतदान का परिणाम आ गया है और यह सत्तारूढ़ एनडीए के पक्ष में है।
एनडीए के घटक दलों की 202 सीटों पर जीत हुई है। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर तक है। उस दिन या उससे पहले 18 वीं विधानसभा का गठन किया जाएगा।
2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को ऐसी की जीत हासिल हुई थी। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सिवान से और उदय नारायण चौधरी जमुई जिले के सिकंदरा से चुनाव हार गए हैं। ये दोनों राजद के उम्मीदवार थे।
सुमित सिंह को करना पड़ा हार का सामना
सिवान में स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा उम्मीदवार मंगल पांडेय की जीत हुई है। सरकार के मंत्री सुमित कुमार सिंह जमुई जिले के चकाई से चुनाव हार गए हैं। उन्हें राजद की साबित्री देवी ने पराजित किया।
पूर्व मंत्री और राजद उम्मीदवार ललित कुमार यादव दरभंगा ग्रामीण से चुनाव हार गए हैं। पूर्व सांसद रामकृपाल यादव दानापुर से भाजपा उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव जीत गए हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी हारे
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा से चुनाव हार गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव को भी झाझा में हार का सामना करना पड़ा है।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव महुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए हैं। राजद से निकाले जाने के बाद इसबार के विधानसभा चुनाव का परिणाम पूरी तरह एनडीए के पक्ष में गया था।
2020 में मुश्किल से सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटा पाया एनडीए इसबार दो तिहाई से अधिक संख्या बल के साथ सरकार का गठन करने जा रहा है।
जदयू का 41 सीटों का फायदा
अगर पांच साल पहले के चुनाव परिणाम से तुलना करें तो जदयू को शानदार सफलता मिली है। उसे कुल 41 सीटों का लाभ हुआ है। 2020 में जदयू के खाते में केवल 43 सीटें आई थी।
भाजपा भी लाभ की स्थिति में है। उसके विधायकों की संख्या 2020 की तुलना में 15 बढ़ी है, जबकि राजद को 50 सीटों का नुकसान हुआ है।
2020 में एनडीए को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय और बसपा के विधायक की मदद लेनी पड़ी थी। पिछले साल विश्वासमत के दौरान भी सरकार को दूसरे दलों के आठ विधायकों का सहयोग लेना पड़ा।
पांच साल तक बिना संकट चलेगी सरकार
उम्मीद की जा रही है कि अपार बहुमत मिलने के बाद एनडीए की अगली सरकार को पांच साल तक किसी संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही नई सरकार का गठन होगा। प्रक्रिया यह है कि चुनाव आयोग राज्यपाल को नव निर्वाचित विधायकों की सूची देगा।
उसी आधार पर नई विधानसभा के गठन की अधिसूचना जारी होगी। उसी अवधि में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां से मिल कर उन्हें अपना त्याग पत्र सौंपेंगे।
नई सरकार के गठन होने तक उनसे पद पर रहने का आग्रह किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह तक सरकार का गठन हो जाएगा। इसके लिए राजभवन में तैयारी शुरू हो गई है।

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