बाल विवाह और दहेज प्रथा को रोकने के लिए नीतीश सरकार कई मोर्चों पर कर रही है काम, समाज में दिख रहा इसका असर
समाज में कुछ ऐसी कुरीतियां हैं जो कोढ़ का रूप ले रही हैं। समाज सुधार को लेकर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया। 12 अक्टूबर 2017 को महात्मा गांधी की 100वीं जयंती से इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ प्रभावी तरीके से अभियान शुरू किया। साथ ही उनके खिलाफ बने कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने का निर्देश दिया।

डिजिटल डेस्क, पटना। दहेज प्रथा और बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दहेज जैसे अभिशाप के कारण न जाने कितनी लड़कियों के सपने बिखर जाते हैं। बिहार में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को न्याय के साथ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया।
दहेज प्रथा और बाल विवाह के मूल कारणों को समझते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे जन-जन तक की समस्या माना। दहेज लेना सामाजिक प्रतिष्ठा का रूप ले लिया है। कम उम्र में शादी करना जिम्मेवारियों से मुक्त होने का एक तरीका बन गया है। नीतीश कुमार ने इस बात को समझा कि जबतक लड़कियों को शिक्षित नहीं किया जाता तबतक इन दोनों कुरीतियों पर पार पाना मुश्किल है इसलिए लड़कियों को ग्रेजुएट करने के लिए कन्या उत्थान योजना चलाई।
सभी ग्राम पंचायतों में प्लस टू स्कूल की स्थापना करवाई ताकि लड़कियां आसानी से शिक्षित हो सकें। राज्य में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाईं। बिहार में लड़कों के बराबर लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हो रही हैं और आगे की पढ़ाई कर रही हैं। इसका असर हो रहा है कि कम उम्र में शादी के मामले बहुत तेजी से घट रहे हैं। शादी-विवाह के मामले में अभिभावक अब लड़कियों की रजामंदी के बिना कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं।
समाज में कुछ ऐसी कुरीतियां हैं, जो कोढ़ का रूप ले रही हैं। समाज सुधार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया। 12 अक्टूबर, 2017 को महात्मा गांधी की 100वीं जयंती से इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ प्रभावी तरीके से अभियान शुरू किया। साथ ही उनके खिलाफ बने कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने का निर्देश दिया।
इस सम्बन्ध में जीविका दीदियों का समूह बनाकर दहेज लेने वालों के खिलाफ प्रभावी तरीके से सक्रिय किया गया कि समाज को बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूक करें। साथ ही बाल विवाह एवं दहेज प्रथा वाली शादी का बहिष्कार किया जाए। गरीब तबके में कम उम्र में शादी के ज्यादातर मामले देखने को मिलते हैं। जीविका दीदियां समूह में जाकर जहां कहीं ऐसे मामले आते हैं वहां उन्हें समझाती हैं और नहीं समझने पर पुलिस को खबर करती हैं जिससे समाज में सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह सोच रही है कि लड़कियों को शिक्षित करें। लड़कियां जब शिक्षित होंगी तो वो खुद इन सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध उठ खड़ी होंगी। शिक्षित लड़कियां ये समझ सकती हैं कि कम आयु में विवाह से मानसिक एवं शारीरिक ग्रोथ रुक जाता है एवं स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनजागरूक और प्रतिबद्धता बनाने के लिए एक अभियान शुरू किया गया। इस उद्देश्य से 21 जनवरी, 2018 को एक प्रतीकात्मक मानव श्रृंखला बनाने का निर्णय लिया गया। बिहार के कोने-कोने से आम और खास लोगों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ मानव श्रृंखला बनाकर इस अभियान का समर्थन किया और समाज से इन कुरीतियों को मिटाने का संकल्प लिया।
दहेज प्रथा पर रोक लगाने तथा शराबबंदी के बाद बाल विवाह की कुरीतियों को समाज से समाप्त करने के लिए आयोजित मानव शृंखला की सफलता के लिए गांव से लेकर जिला स्तर तक जागरूकता अभियान चलाया गया। प्रशासनिक स्तर से लेकर गैर सरकारी संगठनों तक ने अपने-अपने तरीके से जन जागरूकता अभियान चलाया। मशाल जुलूस, महिला परेड और नुक्कड़ नाटक के जरिए शहरों का भ्रमण करने के साथ ही लोगों के बीच इस बुराई को खत्म करने का संदेश दिया गया। वहीं, स्कूलों में कविताएं लिखना, नारे लिखना, गीत प्रतियोगिताओं के जरिए बच्चों में जागरूकता लाई जा रही है।
हालांकि, लड़कियों की कम उम्र में शादी के खिलाफ एक कड़ा कानून है। बाल विवाह विरोधी अधिनियम 2006 के अनुसार लड़कों की शादी की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल तय की गई है। इसी प्रकार, दहेज विरोधी अधिनियम, 1961 और समय-समय पर इसके संशोधनों के अनुसार, दहेज लेनदेन भी एक कानूनी अपराध है और दोषियों पर सख्त कानून लागू होता है। इस बुराई को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए सभी लोगों की मदद और सामाजिक अभियान की ज़रूरत है, जिसे सरकार बड़ी मजबूती से चला रही है।
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