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    नितिन को शाह, पत्नी की पसंद मोदी: संघर्ष से सत्ता तक की कहानी, जहां राजनीति भी है और परिवार भी

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 11:03 AM (IST)

    भाजपा नेता नितिन नबीन की कहानी संघर्ष, जिम्मेदारी और रिश्तों के संतुलन का प्रतीक है। वे खुद को 'एक्सिडेंटली राजनीति में आया व्यक्ति' मानते हैं। उनकी प ...और पढ़ें

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    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ नितिन नबीन, पत्नी दीपमाला श्रीवास्तव, बेटा और परिवार के सदस्य।

    राधा कृष्ण, पटना। राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि यहां सफलता की कीमत निजी जीवन से चुकानी पड़ती है। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और बिहार सरकार में नगर विकास व पथ निर्माण मंत्री नितिन नबीन की कहानी इस धारणा को चुनौती देती है। यह कहानी है एक ऐसे नेता की, जो खुद को 'एक्सिडेंटली राजनीति में आया व्यक्ति' बताते हैं, और एक ऐसी पत्नी की, जिसने घर-परिवार संभालने के लिए अपनी पढ़ाई और करियर के सपनों को पीछे रखा था।

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    पसंद अलग, सोच एक

    नितिन नबीन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से प्रेरित हैं, तो उनकी पत्नी, पेशे से बैंकर डॉक्टर दीपमाला श्रीवास्तव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना आदर्श मानती हैं।

    एक इंटरव्यू में जब दोनों से पसंदीदा नेताओं के बारे में पूछा गया, तो दीपमाला का जवाब भावनात्मक था।


    वह कहती हैं, 'आज के समय में नरेंद्र मोदी जैसा नेता भाजपा में कोई नहीं है। जब जीवन में निराशा आती है, तो मोदी जी याद आते हैं।

    लगता है कि अगर वे इतनी कठिन परिस्थितियों में देश संभाल सकते हैं, तो हम अपनी छोटी समस्याएं क्यों नहीं संभाल सकते।'

    वहीं नितिन नबीन का नजरिया थोड़ा अलग, लेकिन उतना ही गहरा है। वह कहते हैं, 'राजनीति में सफल होना आसान नहीं है। कई बार नेता राजनीतिक रूप से सफल होते हैं, लेकिन पारिवारिक रूप से नहीं।

    मैंने सुशील मोदी को आदर्श स्थापित करते देखा है और अमित शाह को बिना सामाजिक समीकरण के अपनी मेहनत से पहचान बनाते देखा है।

    राजनीति मतलब संघर्ष

    नितिन नबीन बार-बार इस बात पर जोर देते हैं कि राजनीति हर किसी के लिए नहीं है। उनका कहना है, 'मैं कभी राजनीति में नहीं आना चाहता था। लेकिन जीवन ने ऐसी परिस्थिति बनाई कि मजबूरी में इस राह पर आना पड़ा। राजनीति एक अलग दुनिया है। इसमें वही टिक सकता है, जिसमें संघर्ष करने का माद्दा हो। इसके अप्स और डाउन्स का कोई अनुमान नहीं होता।'

    वह स्वीकार करते हैं कि शुरुआत में उन्हें खुद पर शक था,'मेरे मन में सवाल था कि मैं कितनी दूर या कितनी देर तक चल पाऊंगा।'

    अरेंज मैरिज से मजबूत बॉन्डिंग तक

    नितिन नबीन और दीपमाला की शादी अरेंज मैरिज है। करीब 15 साल पहले दोनों के माता-पिता ने यह रिश्ता तय किया। शादी के बाद ही दोनों एक-दूसरे को ठीक से जान पाए।


    दीपमाला मुस्कराते हुए कहती हैं, 'नितिन बहुत शांत और सुलझे हुए इंसान हैं। मैंने हमेशा यही चाहा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा व्यक्ति आए, जो मेरी भावनाओं को समझे और हर परिस्थिति में साथ चले।'

    राजनीति की व्यस्तता के बावजूद परिवार को संभालना आसान नहीं होता। दीपमाला कहती हैं, 'पहले एक शहर की जिम्मेदारी थी, फिर पूरे राज्य और अब राष्ट्रीय स्तर की भूमिका है। बच्चे छोटे हैं, परिवार छोटा है। हम दोनों मिलकर हर जिम्मेदारी निभाते हैं।'

    बिना कहे समझने का रिश्ता

    दीपमाला बताती हैं कि 15 साल साथ रहते-रहते दोनों के बीच एक अनकहा तालमेल बन गया है। अब हमें एक-दूसरे से कुछ कहने की जरूरत नहीं होती। हम समझ जाते हैं कि किसे क्या चाहिए। सबसे अच्छी बात यह है कि नितिन कभी झगड़ा नहीं करते। अगर मुझे झगड़ा करने का मन भी हो, तो ये होने ही नहीं देते,' वह हंसते हुए कहती हैं।

    पिता की विरासत, मां का सपना

    नितिन नबीन के पिता नवीन किशोर सिन्हा जेपी आंदोलन के सेनानी रहे और जनसंघ से लेकर भाजपा तक पार्टी के मजबूत स्तंभ बने। परिवार हमेशा सादगी में रहा। कहा जाता है कि नवीन किशोर सिन्हा पूरी उम्र पत्नी और बच्चों के साथ किराए के मकान में ही रहे।

    31 दिसंबर 2005 को पिता के निधन के समय नितिन नबीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। तब उनकी उम्र महज 26 साल थी। पिता के जाने के बाद मां माला सिन्हा ने फैसला लिया कि बेटा ही राजनीतिक विरासत संभालेगा। नतीजतन, नितिन को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।

    नितिन कहते हैं, 'मां जब तक थीं, सब कुछ बहुत स्मूद था। मां के जाने के बाद पत्नी ने ही सब कुछ संभाला। मेरी सफलता का बड़ा कारण यही है कि घर की पूरी जिम्मेदारी पत्नी ने उठा ली।'

    चुनावी सफर: हार का नाम नहीं

    पिता के निधन के बाद 2006 में पटना पश्चिम (अब बांकीपुर) सीट पर हुए उपचुनाव में नितिन नबीन जीते। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


    2010, 2015, 2020 और अब 2025, लगातार चार विधानसभा चुनाव जीतकर उन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की। साल 2021 में उन्हें पहली बार नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया।

    आज 45 साल की उम्र में नितिन नबीन बिहार सरकार में नगर विकास और पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं।

    मां के लिए अधूरा सपना

    नितिन नबीन की आंखें तब नम हो जाती हैं, जब वह अपनी मां माला सिन्हा की बात करते हैं। वह कहते हैं, 'मैं मां के लिए पटना में एक घर बनाना चाहता था। मैं उन्हें ‘मइया’ कहता था। चाहता था कि उन्हें अपने घर में लेकर आऊं। लेकिन उससे पहले ही मां हमें छोड़कर चली गईं।'

    संपत्ति, गाड़ी और मुकदमे

    बांकीपुर से भाजपा प्रत्याशी नितिन नबीन पर कुल पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनके पास 92.71 लाख रुपये की चल संपत्ति है, जबकि अचल संपत्ति नहीं है। उनकी पत्नी दीपमाला के पास 66.52 लाख रुपये की चल और 1.47 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है।

    गाड़ियों की बात करें तो नितिन नबीन के पास स्कॉर्पियो और इनोवा है। कुल कर्ज 56.66 लाख रुपये है।

    राजनीति, परिवार और संतुलन

    नितिन नबीन की कहानी सिर्फ सत्ता तक पहुंचने की नहीं है, बल्कि संघर्ष, जिम्मेदारी और रिश्तों के संतुलन की कहानी है। जहां एक ओर अमित शाह से प्रेरणा लेने वाला नेता है, वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी को आदर्श मानने वाली पत्नी।

    दोनों की पसंद अलग हो सकती है, लेकिन सोच एक है, संघर्ष से भागना नहीं, और परिवार को कभी पीछे नहीं छोड़ना।