गुरु का बाग गुरुद्वारा में नौवें गुरु की यादें
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गुरु का बाग।
पटना। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गुरु का बाग। पहले यह स्थानीय दो भाई रहीम बक्श-करीम बक्श का हुआ करता था। एक साधु के श्राप से यह बाग सूख गया था। नौवें गुरु तेग बहादुर जब पूर्व की यात्रा से लौटे तो इसी बाग में डेरा डाला। गुरु साहब ने कमंडल का जल सूखे पेड़ों पर डाला, जिससे बाग हरा-भरा हो गया। सूखा बाग के हरा-भरा होने की सूचना मिलते ही दोनों भाई पहुंचे और कहा कि आज से यह बाग गुरु का हो गया। इसे लोग गुरु का बाग के नाम से जानेंगे। इसी बाग में नौवें गुरु तेग बहादुर ने पहली बार पुत्र गो¨वद राय को देखे थे। गुरु ने नबाब से पूछा कि तुम्हारी बेगम कहां है? नबाब बोला, हमारी कोई औलाद नहीं है और बेगम कुष्ठ से पीड़ित है। गुरु महाराज ने बेगम को कहा कि इस बाग में एक फलदार वृक्ष लगाकर कुआं के अमृत जल से स्नान कर लें। बेगम के स्नान के बाद उसका रोग दूर हो गया। गुरु जी जिस इमली पेड़ के नीचे आकर बैठे थे उस सूखे पेड़ की डाली संगत के लिए गुरुद्वारे में रखी है। गुरु जी ने नीम का दतवन जमीन में गाड़ दिया था। बाद में यह बड़ा पेड़ बन गया।
यहां जरूर देखें
थढ़ा साहिब-जहां पर गुरु जी विराजमान थे।
नीम का वृक्ष जो गुरुजी के दतवन से बड़ा हुआ है।
दतवन में डाला गया कड़ा
गुरु का वरदान से बना अमृत कुआं
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