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    बिहार के औद्योगिक विकास की नई तस्वीर... लघु उद्योगों में 135% और बड़े उद्योगों में 131% की वृद्धि

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 07:00 PM (IST)

    राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के जीएसडीपी में उद्योगों की हिस्सेदारी 21.5% हो गई है जिसमें लघु उद्योगों की वृद्धि 135% रही। पुराने उद्योगों के विस्तार में अधिक निवेश हुआ जिससे रोजगार बढ़ा। औद्योगिक प्रतिष्ठानों की संख्या में भी वृद्धि हुई है जिसमें निर्माण उद्योग का बड़ा योगदान है।

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    बिहार के जीएसडीपी में उद्योगों की हैसियत बढ़ायी

    राज्य ब्यूरो, पटना। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बिहार के ग्रास स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) में उद्योगों की हिस्सेदारी 21.5 प्रतिशत हो गयी है। इस हिस्सेदारी के मूल में बिहार के लघु और सूक्ष्म उद्योगों की तीव्र गति है। आंकड़े के अनुसार वर्ष 2023-24 में लघु उद्योगों की बढ़ोतरी पिछले वर्ष की तुलना में 135 प्रतिशत अधिक रही। वहीं बड़े उद्योगों की वृद्धि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2023-24 में 131 प्रतिशत दर्ज की गयी।

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    निवेश का आंकड़ा

    वर्ष 2023-24 में बिहार में उद्योगों की स्थिति यह रही कि नए निवेश से अधिक पुराने उद्योगों के विस्तार में निवेश हुआ। इस दौरान 769 वैसे उद्योग जो पहले काम कर रहे थे पर 8464.5 करोड़ का निवेश हुआ। इसके माध्यम से 31749 लोगों को रोजगार भी मिला। वहीं नयी औद्योगिक इकाईयों में 5642.57 करोड़ रुपए निवेश का प्रस्ताव उद्योग विभाग को मिला।

    औद्योगिक प्रतिष्ठानों की संख्या में बढ़ोतरी

    वर्ष 2023-24 में 2022-23 की तुलना में औद्योगिक प्रतिष्ठानों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी। वर्ष 2022-23 में यहां औद्योगिक प्रतिष्ठानों की संख्या 37.01 लाख थी जो 2023-24 में बढ़कर 58.51 लाख पर पहुंच गयी।

    निर्माण उद्योग की बड़ी हिस्सेदारी

    बिहार के जीएसडीपी में उद्योग की जो 21.5 प्रतिशत हिस्सेदारी दर्ज हुई है उसमें 50 फीसद हिस्सा निर्माण (कंस्ट्रक्शन) उद्योग का है।

    कृषि आधारित उपकरणों की निर्माण इकाईयों की खास हिस्सेदारी

    उद्योग की हिस्सेदारी बढ़ने में कृषि से जुड़े उपकरणों को तैयार करने वाली औद्योगिक इकाईयों की विशेष हिस्सेदारी रही। ये लघु स्तर की इकाईयां हैं। इनके द्वारा पंप व थ्रेशर तक तैयार किए गए। इसके अतिरिक्त टेक्सटाइल व हैंडलूम सेक्टर का योगदान दिखा। खाद्य प्रसंस्करण व अनाज को प्रसंस्कृत करने वाली इकाईयां भी लगीं। फल, सब्जी और दूध को प्रसंस्कृत कर बाजार में उपलब्ध करने वाली इकाईयां भी कई जिले में अस्तित्व में आयीं। इनमें कई बड़े फर्म भी शामिल हैं। जूता, बैग व रेडिमेड कपडे बनाने वाली इकाईयों ने भी अपना निर्माण शुरू किया।