Bihar Politics: नारा है 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट', पार्टी में परिवार का दबदबा; निशाने पर चिराग-मांझी
बिहार की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा फिर गरमा गया है। लोजपा (रा) अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने बहनोई धनंजय कुमार को राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया है तो वहीं जीतनराम मांझी ने अपने दामाद देवेंद्र कुमार को उपाध्यक्ष का पद दिलवाया है। दोनों नेताओं पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं।

अरुण अशेष, पटना। बिहार फर्स्ट को अपनी राजनीति का सूत्र वाक्य बताने वाले लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान व्यवहार में परिवार फर्स्ट के मंत्र पर चल रहे हैं। अभी बिहार में सरकारी बोर्ड और आयोग का गठन हो रहा है। चिराग की पार्टी को राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष पद दिया गया। इस पर पर उनके बहनोई धनंजय कुमार ऊर्फ मृणाल बिठाए गए हैं।
परिवार को प्राथमिकता
उन्हीं की तरह दलितों के उत्थान की राजनीति करने वाले केंद्रीय मंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी ने भी परिवार को प्राथमिकता देना उचित समझा।
चिराग के बहनोई जिस आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं, उसके उपाध्यक्ष का पद जीतनराम मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार को दिया गया है। यह पहला अवसर नहीं है, जब चिराग और मांझी ने आम कार्यकर्ताओं के बदले परिवार को वरीयता दी है। लोकसभा या विधानसभा का चुनाव हो या मनोनयन की सीटें, परिवार में योग्य पात्रों के न रहने पर ही ये दूसरे को अवसर देते हैं।
मृणाल बने थे उम्मीदवार
चिराग के एक बहनोई अरुण भारती जमुई लोकसभा से 2024 में उम्मीदवार बने और चुनाव जीते। दूसरे बहनोई धनंजय ऊर्फ मृणाल को उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में वैशाली जिला के राजापाकर से लोजपा का उम्मीदवार बनाया था। मृणाल तीसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिमा दास से उन्हें ठीक 30 हजार कम वोट मिले थे, उस समय लोजपा अकेले चुनाव लड़ी थी।
2025 में जब एनडीए के घटक के रूप में लोजपा (रा) विधानसभा चुनाव लड़ेगी, मृणाल फिर उम्मीदवार बन सकते हैं। चिराग के एक और बहनोई हैं अनिल कुमार साधु।
उन्होंने पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के जीते जी लोजपा से नाता तोड़ लिया था। अब वे राजद में हैं। चिराग के कटु आलोचक हैं। चिराग के तीन बहनोइयों में अनिल सबसे बड़े हैं। वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं।
देवेंद्र को भी मिला था अवसर
जीतनराम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को भी पांच साल पहले चुनाव लड़ने का अवसर मिला था। जहानाबाद जिला के मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से 2020 में वे हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के उम्मीदवार थे। करीब साढ़े 22 हजार मतों के अंतर से वे चुनाव हारे थे।
मांझी के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनकी विधानसभा सीट पर उप चुनाव के दौरान भी देवेंद्र की उम्मीदवारी की चर्चा हुई थी, लेकिन मांझी ने अपनी बहू दीपा मांझी को उप चुनाव में ईमामगंज से उम्मीदवार बनाया।
वह चुनाव जीत गईं। अभी मांझी लोकसभा के सदस्य हैं।बहू और समधिन विधायक हैं। पुत्र संतोष कुमार विधान परिषद के सदस्य और राज्य सरकार में मंत्री हैं।

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