नेपाल की महिला बिहार में बनी मुखिया, हाईकोर्ट बोला- बिना नागरिकता के चुनाव में जीतने का कोई मतलब नहीं
पटना हाईकोर्ट ने 2018 में मुखिया चुनी गई महिला की जीत को अवैध घोषित कर दिया है। इस वजह से नेपाल की महिला को बिहार में मुखिया बन जाना महंगा पड़ा है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की दो सदस्यीय खंडपीठ ने ये फैसला लिया।
पटना, जेएनएन। नेपाल की महिला को बिहार में मुखिया बन जाना महंगा पड़ा। पटना हाईकोर्ट ने 2018 में मुखिया चुनी गई महिला की जीत को अवैध घोषित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की दो सदस्यीय खंडपीठ ने नेपाल से आकर बिहार में बनी मुखिया की जीत को अवैध घोषित करते हुए कहा कि यहां पर नागरिकता प्राप्त किए बगैर किसी पद को पा लेना सर्वथा अनुचित है। पटना हाईकोर्ट ने नेपाल की रहने वाली किरण गुप्ता की अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत के मूल निवासी से शादी कर लेने से कोई महिला यहां की नागरिक नहीं हो सकती है।
भारत के मूल निवासी से शादी करने से भारत की नागरिक नहीं
खंडपीठ ने यह भी कहा कि भारत के मूल निवासी से शादी कर लेने से कोई महिला भारत की नागरिक नहीं हो सकती है। भले ही इसके लिए उसके पास भारत का वोटर आई कार्ड, पैन के साथ पहचान के लिए को अन्य दस्तावेज क्यों ना हो। भारत का नागरिक बनने के लिए नागरिकता कानून के तहत उसे आवेदन देना चाहिए था। कोर्ट ने महिला के मुखिया चुने जाने को निरस्त करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने नेपाल की रहने वाली किरण गुप्ता की अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
शादी के बाद पति के साथ रहते बनी दो बच्चों की मां
दरअसल आवेदिका नेपाली नागरिक थी। उसकी शादी भारत के मूल निवासी के साथ हुई थी। शादी के बाद वह अपने पति के साथ रहते हुए दो बच्चों की मां भी बनी। इसके बाद वह भारत के अन्य नागरिकों की तरह रहने लगी। इसके बाद उसने भारत में आकर ही संपत्ति भी खरीद ली। सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर के माणिक चौक से 2018 में चुनाव जीतकर मुखिया भी बन गई। उसके बाद उसकी नागरिकता को लेकर उसके निर्वाचित होने को चुनौती दी है।
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