चीनी नहीं, फिर भी भरपूर मिठास! नीरा से बनी मिठाइयों ने बदली स्वाद और सेहत की परिभाषा
गया जिले के बोधगया की जीविका दीदी पुष्पलता ने बिना चीनी की नीरा से बनी लड्डू, पेड़ा और तिलकूट बनाकर एक मिसाल कायम की है। बिहार सरस मेला, पटना में उनके ...और पढ़ें

नीरा से बनी मिठाइयों ने बदली स्वाद और सेहत की परिभाषा
डिजिटल डेस्क, पटना। बिना चीनी के भी मिठाइयां स्वादिष्ट हो सकती हैं, इस सोच को हकीकत में बदलकर दिखाया है गया जिले के बोधगया की जीविका दीदी पुष्पलता ने। नीरा से बनी लड्डू, पेड़ा और तिलकूट आज न सिर्फ बिहार, बल्कि देश-विदेश तक अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीते 20 वर्षों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए गए प्रयासों की यह एक सशक्त मिसाल बनकर सामने आई है।
राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित बिहार सरस मेला में बोधगया की नीरा से बनी मिठाइयों का स्टॉल लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। स्टॉल पर हर दिन भारी भीड़ उमड़ रही है। लोग न सिर्फ इन अनोखी मिठाइयों का स्वाद चख रहे हैं, बल्कि इनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में भी उत्सुकता से जानकारी ले रहे हैं। दीदी पुष्पलता के सहयोगी डब्लू बताते हैं कि आम तौर पर लोगों में यह भ्रांति रहती है कि नीरा नशीला होता है, जबकि वास्तविकता यह है कि नीरा पूरी तरह प्राकृतिक, पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
उन्होंने बताया कि जीविका दीदी की स्थायी दुकान गया जिले के बोधगया स्थित बौद्ध मंदिर के समीप संचालित होती है। सरस मेला के दौरान प्रतिदिन 10 से 20 हजार रुपये तक की बिक्री हो रही है। खास बात यह है कि यहां तैयार की जाने वाली सभी मिठाइयां बिना चीनी के होती हैं, जिससे मधुमेह रोगियों और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों में इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं इस नवाचार से प्रभावित हो चुके हैं। 16 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री ने बोधगया में दुकान पर पहुंचकर नीरा से बनी मिठाइयों का जायजा लिया था। जब दीदी पुष्पलता ने उन्हें बताया कि लड्डू, पेड़ा और तिलकूट चीनी की जगह नीरा से बनाए जाते हैं, तो मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना की। इसके बाद 21 जनवरी 2023 को भी मुख्यमंत्री ने दोबारा ऑफलाइन आकर प्रोडक्ट का अवलोकन किया और दीदी के प्रयासों को प्रोत्साहित किया।
नीरा से बनी मिठाइयों की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बोधगया आने वाले विदेशी सैलानी भी इन्हें अपने देश ले जाना पसंद करते हैं। थाईलैंड और जापान से आने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में इन उत्पादों की खरीद करते हैं। यह स्थानीय हुनर और स्वदेशी उत्पादों की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है।
उधर, बिहार सरस मेला ने भी इस वर्ष नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मेला शुरू होने के शुरुआती तीन दिनों में ही 2.25 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। जीविका दीदियों द्वारा लगाए गए 500 से अधिक स्टॉल आगंतुकों के लिए खास आकर्षण बने हुए हैं। यहां न सिर्फ पारंपरिक स्वाद और हस्तशिल्प देखने को मिल रहा है, बल्कि बिहार सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है।
कुल मिलाकर, नीरा से बनी मिठाइयों की यह पहल स्वाद, सेहत और स्वरोजगार का अनूठा संगम है। जीविका दीदी पुष्पलता की कहानी यह साबित करती है कि सही अवसर, नवाचार और मेहनत से स्थानीय उत्पाद भी वैश्विक पहचान हासिल कर सकते हैं।

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