राज्यसभा चुनाव: NDA में मांझी से पहले चिराग का दावा; ओवैसी की पार्टी का रुख कैसे तय करेगा एक सीट का रिजल्ट?
बिहार में राज्यसभा चुनाव को लेकर एनडीए में खींचतान जारी है। चिराग पासवान ने जीतन राम मांझी से पहले दावा किया है। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का रुख एक स ...और पढ़ें

चिराग पासवान, जीतन राम मांझी व असदुद्दीन ओवैसी। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Rajya Sabha Elections: अगले साल अप्रैल में बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें रिक्त होंगी। 2020 की तुलना में इसबार एनडीए की सीटों में एक की वृद्धि होगी।
इस बढ़ी हुई सीट पर लोजपा-रा (LJP-R) का दावा पहले से था। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इस धमकी के साथ नया दावा ठोक दिया कि सीट नहीं मिली तो एनडीए से अलग हो जाएंगे।
हालांकि मांझी के दावे को कोई गंंभीरता से नहीं ले रहा है। लेकिन, लोजपा (रा) के दावे को खारिज करना मुश्किल है। रिक्त होने वाली पांच में से जदयू और राजद की दो-दो सीटें हैं।
एक राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा के पास है। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को जबरदस्त सफलता मिली है। इसके कारण पांच में से चार सीटों पर उसकी जीत तय है।
पांचवी सीट संयुक्त विपक्ष के खाते में जा सकती है। लेकिन, यह पूरी तरह एआइएमआइएम के रूख पर निर्भर है, जिसके पांच विधायक हैं।
जदयू के हरिवंश नारायण सिंह, रामनाथ ठाकुर, राजद के प्रेमचंद्र गुप्ता, एडी सिंह और रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा का राज्यसभा कार्यकाल अगले साल नौ अप्रैल को समाप्त हो रहा है।
विपक्ष के लिए भी अवसर
विधानसभा सदस्यों की संख्या 243 है। पांच सीटों के लिए अगर राज्यसभा का चुनाव होता है तो एक पर जीत के लिए 41 विधायकों का वोट चाहिए। एनडीए के विधायकों की संख्या 202 है।
चार सीट पर उसकी जीत निर्विवाद है। विपक्षी महागठबंधन अगर पांचवी सीट पर जीत चाहता है तो उसे AIMIM के पांच और बसपा के एक विधायक का समर्थन अनिवार्य रूप से चाहिए।
एआइएमआइएम अगर मतदान का वहिष्कार करता है तो 39 विधायकों के वोट से एक सीट का परिणाम निकलेगा। यह स्थिति एनडीए के लिए अच्छी रहेगी। तब उसके पांच उम्मीदवार चुनाव जीत सकते हैं।
नितिन नवीन प्रबल दावेदार
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन अभी विधायक हैं। वह राज्यसभा के स्वाभाविक दावेदार हैं। रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा को उप चुनाव में भेजा गया था।
उनके लिए एक पूर्व कार्यकाल की प्रतिबद्धता विधानसभा चुनाव के समय ही की गई थी। जदयू पहले ही साफ कर चुका है कि एनडीए के घटल दल भाजपा की जिम्मेवारी हैं। इसका मतलब जदयू अपनी दो सीटों की ओर भाजपा को झांकने भी नहीं देगा।
चिराग की पार्टी का भी दावा
लोजपा (रा) जो उस समय लोजपा थी, राज्यसभा की एक सीट 2019 के लोकसभा चुनाव के समय समझौते में दी गई थी। यह रविशंकर प्रसाद के लोकसभा में चुने जाने के कारण रिक्त हुई थी।
इसका कार्यकाल 2024 तक था। अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के असामयिक निधन के बाद यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। लोजपा (रा) अब यह सीट चाह रही है।
लोकसभा चुनाव में भी 2019 की तुलना में उसे लड़ने के लिए एक सीट कम दी गई थी। इस समय लोजपा (रा) के विधायकों की संख्या 19 है। यह हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और रालोमो की तुलना में उसके दावे को और मजबूत करता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।