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यहां पहाड़ियों की तलहटी में लहरा रही अफीम की खेती, मालामाल हो रहे नक्सली

गया की पहाड़ियों की तलहटी में बसे करीब एक दर्जन गांवों में पिछले एक दशक से नक्सलियों के संरक्षण में अफीम की खेती की जा रही है। अफीम की खेती हमेशा से मोटी कमाई का जरिया रहा है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 09:51 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 04:20 PM (IST)
यहां पहाड़ियों की तलहटी में लहरा रही अफीम की खेती, मालामाल हो रहे नक्सली
यहां पहाड़ियों की तलहटी में लहरा रही अफीम की खेती, मालामाल हो रहे नक्सली

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में नक्सलियों की आर्थिक हैसियत पर केंद्र व राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा लगातार प्रहार के बावजूद राज्य के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार गया के बाराचट्टी अनुमंडल के दर्जन भर गांवों में नक्सली पिछले एक दशक से अपने आतंक का बाजार सजाने के लिए नशे की खेती करा रहे हैं। 

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बाराचट्टी में पहाडिय़ों की तलहटी में बसे करीब एक दर्जन गांवों में पिछले एक दशक से नक्सलियों के संरक्षण में अफीम की खेती की जा रही है। हर साल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआइ) और स्थानीय जिला प्रशासन खुफिया एजेंसियों की सूचना पर इन गांवों में अफीम की फसल को नष्ट करती रही है।

एनसीबी की मानें तो पिछले साल बाराचट्टी के विभिन्न गांवों में करीब ढाई सौ एकड़ में लगे अफीम के पौधों पर दवा का छिड़काव कर उन्हें नष्ट किया था। इस साल भी खुफिया एजेंसियों ने उन गांवों में करीब चार सौ एकड़ के रकबे में अफीम की फसल लगाए जाने की सूचना एनसीबी, डीआरआइ और स्थानीय जिला प्रशासन को दे दी है।

नक्सलियों के लिए बाराचट्टी जैसे अपने आधार क्षेत्र में अफीम की खेती हमेशा से मोटी कमाई का जरिया रहा है। अफीम की फसल तीन माह में ही तैयार हो जाती है। नवंबर महीने में इसकी बुआई जाती है और जनवरी में फसल में फूल आ जाते हैं।

इन गांवों में हो रही अफीम की खेती

बाराचट्टी के जिन गांवों में अफीम की अवैध खेती की सूचना खुफिया एजेंसियों ने दी है, उनमें कदल, खजुराइन, चारदाहा, भलुआ, नारे, पिपराही, डांग, खैरा, सोमिया, दोआठ और ऊपरी गोहिया जैसे पहाड़ी की तलहटियों में बसे गांव शामिल हैं। ये सभी गांव अत्यधिक नक्सल प्रभावित गांवों की सूची में हैं। साथ ही यह इलाका इतना दुरूह है कि यहां दिन के उजाले में भी पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा बलों की पहुंच मुश्किल है।

नक्सली अफीम की खेतों की सुरक्षा के लिए पहाडिय़ों की तलहटी में बंकर तक का निर्माण करते हैं। ताकि पुलिस व सुरक्षा बलों की छोटी टुकडिय़ों पर दूर से ही हमला किया जा सके।

नक्सलियों की कमाई का बड़ा स्रोत है अफीम

खुफिया एजेंसियों की मानें तो बाराचट्टी में अफीम की खेती से नक्सली हर साल करोड़ों की अवैध कमाई करते हैं। साथ ही खेती में शामिल स्थानीय किसानों को भी इससे हर साल मोटी आमदनी होती है।

डीआरआइ व स्थानीय जिला प्रशासन को किया आगाह

एनसीबी, पटना के क्षेत्रीय निदेशक टीएन सिंह ने कहा कि बाराचट्टी में हो रही अफीम की खेती के संबंध में खुफिया एजेंसियों ने एनसीबी के साथ डीआरआइ व स्थानीय जिला प्रशासन को आगाह कर दिया है। इस संबंध में केंद्रीय सुरक्षा बल एसएसबी को भी सूचित किया जा चुका है। हम पूरी तैयारी के साथ इसे नष्ट करने की कार्रवाई करेंगे।


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