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    शराब पीने के बाद थानों के मालखानों से पैसे गायब कर रहे बिहार के चूहे

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Sat, 20 May 2017 09:47 PM (IST)

    जहानाबद जेल ब्रेक कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात नक्सली के पैसे थाने के मालखाने से गायब हो गये। कोर्ट के आदेश के बावजूद पैसा नहीं मिल रहा है।

    शराब पीने के बाद थानों के मालखानों से पैसे गायब कर रहे बिहार के चूहे

    पटना [जेएनएन]। बिहार में थानों के मालखानों में रखी केवल शराब की बोतलें ही चूहों के निशाने पर नहीं बल्कि मालखाने में रखी गई नकद राशि भी चूहे गायब कर रहे हैं। हालात यह है कि अदालत द्वारा मालखानों में जब्त करके रखी गई राशि को संबंधित अभियुक्तों को वापस करने का आदेश दिया जाता है तब पुलिस अपनी बगलें झांकने को मजबूर है।

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    ताजा मामला जहानाबाद जेल ब्रेक कांड का मुख्य आरोपी कुख्यात नक्सली अजय कानू उर्फ रवि की गिरफ्तारी के वक्त जब्त रकम से जुड़ा हुआ है। यह पैसा फुलवारीशरीफ थाना के मालखाने से गायब हो गया है। कोर्ट का आदेश लेकर अजय का भाई रोजाना थाने के चक्कर काट रहा है, पर पुलिस रुपये लौटाने के मूड में नहीं है। उससे कहा जा रहा है कि रुपये गायब हो गए।

    चूंकि गिरफ्तारी वर्ष 2002 में हुई थी और इन पंद्रह सालों में फुलवारीशरीफ में कई थानेदार बदले जा चुके हैं, इसलिए वर्तमान थानाध्यक्ष सह परीक्ष्यमान आइपीएस योगेंद्र प्रसाद ने मामले की जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर की है। हालांकि उन्होंने कोर्ट के आदेश का सतत अनुपालन करने की बात कही है। साथ ही कहा कि रुपये गायब होने पर मालखाना पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुशंसा की जाएगी।

    बेली रोड से हुई थी गिरफ्तारी

    फुलवारीशरीफ थाने में दर्ज कांड संख्या 215/2002 में पुलिस को अजय कानू उर्फ रवि की तलाश थी। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने उसी साल 28 मई को उसके हरिशचंद्र नगर स्थित किराए के मकान पर दबिश दी थी। वहां से दो रिश्तेदारों को गिरफ्तार करने के साथ 35 हजार रुपये जब्त किए थे। ठीक तीन महीने बाद बेली रोड से पुलिस ने अजय कानू को गिरफ्तार किया था। उस वक्त तलाशी के क्रम में उसके पास से 18,801 रुपये मिले थे, जिसे जब्त किया गया था। 

    बरी हो चुका है अजय कानू

    साक्ष्यों के अभाव में फुलवारीशरीफ थाने में दर्ज कांड में अजय कानू को बरी कर दिया। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार ने 23 जुलाई 2015 को जब्त की गई राशि को मुक्त करने के लिए फुलवारीशरीफ थानाध्यक्ष को लिखित आदेश दिया था।

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    अजय का भाई सहजानंद ने जब कोर्ट का पत्र लेकर थाने में गया था, लेकिन तत्कालीन थानेदार टाल-मटोल का रवैया अपनाते रहे। इस संबंध में अजय कानू ने बेउर जेल के स्पेशल कोर्ट में शिकायत की, जिसका पत्र लेकर उसके वकील भी थाने गए पर रुपयों का कुछ अता-पता नहीं चला।

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