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    बिहार का गौरव: राज्य में पहला पांडुलिपि कलस्टर केंद्र बना नव नालंदा महाविहार

    By rajnikantEdited By: Radha Krishna
    Updated: Mon, 27 Oct 2025 08:34 AM (IST)

    नालंदा स्थित नव नालंदा महाविहार को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बिहार का पहला पांडुलिपि कलस्टर केंद्र घोषित किया है। यह उपलब्धि 'ज्ञान भारतम' पहल के अंतर्गत मिली है। कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि यह केंद्र बिहार की दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण और संवर्धन का कार्य करेगा। संस्कृति मंत्री ने इस पहल की सराहना की और पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

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    दिल्ली में हस्ताक्षरित एमओयू का आदान-प्रदान करते नव नालंदा महाविहार के कुलपति व केंद्र सरकार के अधिकारी। l सौजन्य: नव नालंदा महाविहार

    संवाद सूत्र, नालंदा। डीम्ड विश्वविद्यालय नव नालंदा महाविहार ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इसे बिहार का पहला पांडुलिपि कलस्टर केंद्र घोषित किया है। यह उपलब्धि मंत्रालय की प्रमुख पहल ज्ञान भारतम के अंतर्गत प्राप्त हुई है।

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    नव नालंदा महाविहार के अलावा देशभर में 10 कलस्टर केंद्रों और सात स्वतंत्र केंद्रों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह पहल भारत की प्राचीन पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, पुनर्स्थापन और डिजिटलीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

    नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि कलस्टर केंद्र इस परियोजना की सर्वोच्च श्रेणी है। इस रूप में नव नालंदा महाविहार को बिहार की दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण, संवर्धन और डिजिटलीकरण की जिम्मेदारी और अवसर दोनों प्राप्त हुए हैं।

    उन्होंने बताया कि स्वतंत्र केंद्र केवल अपनी पांडुलिपि-संपदा के संरक्षण तक सीमित रहते हैं, जबकि कलस्टर केंद्र व्यापक क्षेत्रीय दायित्व निभाते हैं और अपने क्षेत्र की संस्थाओं को सहयोग प्रदान करते हैं। प्रो. सिंह ने बताया कि वह इस परियोजना के प्रारंभ से ही सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। उन्होंने संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित कई बैठकों में भाग लिया। यह समझौता ज्ञापन आदान-प्रदान समारोह नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा (जयपुर हाउस) में आयोजित हुआ, जिसमें संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल तथा संयुक्त सचिव समर नंदा भी उपस्थित थे।

    इस अवसर पर संस्कृति मंत्री ने कहा है कि नालंदा और बिहार की पांडुलिपि परंपरा भारत के आत्मा का प्रतीक है। नव नालंदा महाविहार की ओर से इस दिशा में किया जा रहा कार्य सराहनीय है। उन्होंने मंत्रालय की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है।

    कुलपति ने कहा कि नव नालंदा महाविहार ज्ञान भारतम मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा। हमारा लक्ष्य है कि भारत पुनः शिक्षा का वैश्विक केंद्र बने। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि नव नालंदा महाविहार की ऊर्जावान टीम अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करेगी।