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    राष्ट्रभाव के कवि थे रामदयाल पांडेय

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    Updated: Sun, 07 Aug 2016 01:36 AM (IST)

    कवि राम दयाल पांडेय राष्ट्र भाव के महान कवि थे।

    पटना : कवि राम दयाल पांडेय राष्ट्र भाव के महान कवि थे। उन्होंने साहित्य लिखा हीं नहीं, बल्कि उसे जिया भी है। कविताओं को अपने जीवन में इस प्रकार उतारा कि वे सोते-जागते साहित्य के बारे में सोचते रहते थे। आदर्श कवि, विद्वान संपादक होने के साथ स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका भी निभाया। स्वतंत्रता सेनानी को मिलने वाले पेंशन को उन्होंने मातृ-सेवा मान कर उसका मूल्य नहीं लिया। ये बातें हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। मौका था महाकवि रामदयाल पांडेय की जयंती समारोह का। समारोह के अतिथि समीक्षक डॉ. शिववंश पांडेय ने कहा कि ¨हदी साहित्य में उनके जैसा आदर्श व्यक्तित्व मिलना कठिन है। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता-आंदोलन में जो योगदान साहित्य को दिया वह अपने आप में बड़ी बात है। वे हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं बिहार राष्ट्र भाषा परिषद में अनेक वर्षो तक वे संस्थान के मुखिया बने रहे। साहित्य सम्मेलन के भवन निर्माण में उन्होंने अपने सिर पर ईट तक ढोए। साहित्य सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने कहा कि धुन के पक्के होने के साथ निर्भिक पत्रकार व संपादक की भूमिका भी निभाई। मौके पर डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. बच्चा ठाकुर, पंडित शिवदत्त मिश्र, न्यायमूर्ति दिनेश शर्मा आदि मौजूद थे।

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