राष्ट्रीय दुग्ध दिवस: बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन; कुलपति ने कहा- वैश्विक उत्पादन में भारत का 23% योगदान
पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन के मामले में भारत विश्व में पहले स्थान पर है और वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 23 प्रतिशत योगदान देता है।
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राष्ट्रीय दुग्ध दिवस: बिहार में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का विशेष कार्यक्रम। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंगीभूत संजय गांधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन के मामले में भारत विश्व में पहले स्थान पर है और वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 23 प्रतिशत योगदान देता है।
उन्होंने कहा कि इस पायदान पर मजबूती से खड़े होने के पीछे की ताकत को-आपरेटिव मूवमेंट है। किसान व पशुपालकों ने एक साथ जुड़कर इस व्यवसाय को श्वेत क्रांति बना दिया। जिस प्रकार पर्यावरण और मौसम में बदलाव देखा जा रहा है, पशुपालकों और डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों को देशी पशुओं पर निर्भरता बढ़ानी चाहिए। बिहार में संभावनाओं की कमी नहीं है, विद्यार्थी नौकरी के पीछे नहीं भागकर उद्यम स्थापित करने की दिशा में काम करें।
डॉ. कुरियन की विरासत हमें लगातार प्रेरित करती रहेगी
इंडियन डेयरी एसोसिएशन बिहार चैप्टर के अध्यक्ष डीके श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौके पर उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय दुग्ध दिवस केवल एक समारोह नहीं, बल्कि किसानों को सशक्त बनाने, आधुनिक तकनीक अपनाने और सहकारी मूल्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प है। डॉ. कुरियन की विरासत हमें लगातार प्रेरित करती रहेगी।
डॉ. कुरियन ने किसानों को संगठित कर अमूल माडल से सहकारी आंदोलन की ऐसी नींव रखी, जिसने भारत को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाया, जो डॉ. कुरियन के दूरदर्शी नेतृत्व और आपरेशन फ्लड की ऐतिहासिक सफलता का परिणाम है।
बिहार के दुग्ध क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण, दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने, उन्नत नस्ल सुधार और डिजिटल डेयरी प्रबंधन जैसी पहल से राज्य में स्थिति बेहतर होगी। संस्थान के डीन डॉ. उमेश सिंह ने कहा कि साहिवाल और थारपारकर जैसे देसी नस्ल के पशु बिहार के वातावरण के बेहद अनुकूल हैं।
उन्नत नस्ल के पशुओं का झुंड तभी तैयार हो सकता है जब पशुपालकों को क्वालिटी सीमेन उपलब्ध हो और कृत्रिम गर्भाधान कुशलता से किया जाए। मौके पर संजय गांधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार, डॉ. विनीता रानी, डॉ. संजीव, डॉ. विपिन, डॉ. योगेंद्र सिंह जादौन, डॉ. सोनिया, डॉ. दिवाकर, डॉ. भारती आदि मौजूद थीं।

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