NMCH में रेडियोलॉजी कर्मी की संकट, छात्रों से कराए जा रहे 300 रोजाना एक्स-रे
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेडियोलॉजी विभाग तकनीशियनों की कमी से जूझ रहा है। छात्रों द्वारा एक्सरे किए जाने से मशीनों के खराब होने और जांच रिपोर्ट पर सवाल उठने की समस्या बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन को मरीजों की एक्सरे संबंधी जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि स्वीकृत 12 पदों में से केवल दो रेडियोग्राफर ही कार्यरत हैं। स्वास्थ्य विभाग से तकनीशियनों की मांग की गई है।

दो के भरोसे तीन सौ से अधिक मरीजों का एक्सरे
जागरण संवाददाता, पटना सिटी। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सेंट्रल इमरजेंसी, औषधि विभाग की इमरजेंसी, शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी, हड्डी रोग विभाग, स्त्री एवं प्रसूति विभाग, सर्जरी विभाग समेत अन्य विभागों में भर्ती तथा ओपीडी में आने वाले मरीजों का एक्सरे करने के लिए रेडियोलॉजी विभाग को अभी तक तकनीशियन नहीं मिले हैं।
इतने बड़े अस्पताल में मरीजों का एक्सरे यहां पढ़ने वाले पारा मेडिकल के छात्र-छात्राएं कर रहे हैं। हर दिन तीन सौ से अधिक एक्सरे करना पड़ रहा है।
दो महिला रेडियोग्राफर कार्यरत
रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि टेक्नीशियन के सृजित सात पदों के बदले केवल दो महिला रेडियोग्राफर कार्यरत हैं। एक की ड्यूटी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और एक की सेंट्रल इमरजेंसी में लगाई गई है।
इमरजेंसी व विभाग के लिए सृजित रेडियोग्राफर का नया पांच पद भी रिक्त है। स्वास्थ्य विभाग से दस टेक्नीशियनों की मांग की गयी है। इनके चयन की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।
अस्पताल प्रशासन को समस्याओं से जूझना पड़ रहा
एनएमसीएच में आने वाले मरीजों का एक्सरे कराने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए अस्पताल प्रशासन को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। पैरा मेडिकल को विद्यार्थियों द्वारा एक्सरे करने के दौरान करोड़ों रुपए की जांच मशीन अक्सर बिगड़ जाती है।
एक्सरे फिल्म बर्बाद होती है। जांच रिपोर्ट पर चिकित्सकों द्वारा सवाल खड़े किए जाते हैं। संदिग्ध जांच रिपोर्ट पर इलाज में गड़बड़ी होने की संभावना बनी रहती है। एनएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग में डिजिटल, कंप्यूटरीकृत तथा पोर्टेबल दर्जनभर मशीनों से एक्सरे करने के लिए अधिकृत केवल दो रेडियोग्राफर ही हैं जबकि 12 पद सृजित हैं।

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